हर वर्ष स्पीती घाटी के चिचम और किब्बर गाँव में विंटर सीजन में हिम तेंदुए को देखने के लिए टूरिस्ट्स भारी संख्या में आते है। विश्व के जाने माने फ़ोटोग्राफ़र्स और डॉक्युमेंट्री बनाने वाले भी कई संख्या में हिम तेंदुए को अपने कैमरे में क़ैद करने के लिए आते है।
इससे चिचम और किब्बर के कई लोगों को रोज़गार भी मिलता है। इसी ईको टूरिज्म को शाश्वत रूप से चलाने के लिए वन्यप्राणी मण्डल स्पीती स्थान क़ाज़ा द्वारा इस वर्ष चिचम तथा किब्बर गाँव में ईको डेवलपमेंट कमेटियों का गठन किया गया है। इसके तहत स्थानीय लोग और वन विभाग साथ में मिलकर ईको टूरिज्म को नियंत्रित करेंगे और बढ़ावा देंगे।
इस बारे में वन मंडल अधिकारी स्पीती मंदार जेवरे ने कहा कि “इन ईको डेवलपमेंट समितियों के माध्यम से वन्यजीव संवर्धन और ईको टूरिज्म को शाश्वत रूप से चलाने में सहायता होगी। इन ईको डेवलपमेंट समितियों के माइक्रो प्लान बनाये जाएँगे जिसके तहत चिचम और किब्बर गाँव में वन्यजीव संरक्षण एवं गाँव के विकास काम किए जाएँगे।
माइक्रो प्लान के अनुसार बजेट का आवंटन होगा और वन्यजीव संवर्धन तथा ईको डेवलपमेंट के कार्यों को चालना मिलेगी। ईको डेवलपमेंट समिति के हर सदस्य को वन विभाग की ओर से पहचान पत्र भी दिये जाएँगे। हर ईको डेवलपमेंट समिति की कार्यकारिणी समिती बनायी गई है.
जिसे भारतीय वन क़ानून १९२७ के तहत फ़ॉरेस्ट ऑफिसर के पॉवर्स होंगे और ये समितियाँ ईको डेवलपमेंट समितियों के कार्य तथा अकाउंट्स की देखरेख करेंगी। इससे लोगो को भी रोज़गार प्राप्त होगा और वन्यजीवों के बारे में टूरिस्ट्स अधिक जानकार बनेंगे।”