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जर्जर स्कूल में पढ़ायी के लिए मज़बूर मासूम, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

<p>हिमाचल प्रदेश में वैसे तो शिक्षा के आंकड़ों को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन, जमीनी हकीकत क्या है यह आप सभी जानते होंगे। आप अपने नजदीकी प्राथमिक स्कूल में चले जाइए कोई ना कोई अव्यवस्था देखने को मिल जाएगी। रेणुका विधानसभा में एक स्कूल ऐसा है कि जहां छात्रों की जिदंगी ही रोज दांव पर लगती है।</p>

<p>सिरमौर जिला के बडोल में स्थित सरकारी स्कूल में 6 से 10वीं तक की पढ़ायी होती है। लेकिन, 1962 में बने स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है। मगर, शिक्षा विभाग का ध्यान इस तरफ कतई नहीं है। शिक्षा में सुधार और स्कूल चले हम जैसे नारे सिर्फ विज्ञापनों में नज़र आते हैं। जमीनी हकीकत ये है कि इन मासूमों की जान की फिक्र किसी को नहीं है। स्कूल में तकरीबन 45 छात्र रोज अपनी जिदंगी दांव पर लगाकर पढ़ने आते हैं।</p>

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<p>इमारत के प्लास्टर और दीवारें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। थोड़ी सी बारिश में सीलिंग से सीपेज होने लगता है। कई मर्तबा छत का प्लास्टर पढ़ायी कर रहे छात्रों पर आकर गिर गया है। कई छात्र गंभीर रूप से घायल होने से बचे हैं।</p>

<p>इस हालात को देखते हुए स्कूल प्रबंधन अब छात्रों की कक्षाएं बाहर लगा रहा है। बीते दिनों बारिश की वजह से स्कूल के भवन का डंगा भी गिर गया है। ऐसे में भवन को खतरा और बढ़ गया है।</p>

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<p>ऐसा नहीं कि स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना संबंधित विभागों को नहीं दिया। लोगों ने इसकी बकायदा फोटोग्राफ और वीडियो प्रशासन को सौंपे। लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मोटी पगार लेकर अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों में पढ़ाकर मस्त लाइफ बीता रहे हैं। भला उन्हें सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले आम परिवारों के बच्चों की कहां सुध। लापरवाही का नतीजा है कि इतने सालों के बाद भी स्कूल के भवन को ठीक करने का काम नहीं हुआ।</p>

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<p>हालांकि, जब समाचार फर्स्ट की टीम ने सिरमौर के डीसी के सामने यह मामला उठाया तो उन्होंने इसका ठीकरा शिक्षा विभाग पर फोड़ दिया। हालांकि, उन्होंने आश्वासन जरूर दिया कि वह इस मामले में जल्द से जल्द बजट का प्रावधान कराकर स्कूल को ठीक करने की दिशा में काम करने जा रहे हैं।</p>

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