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शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी छात्रों के ‘भविष्य’ पर भारी

समाचार फर्स्ट |

चुनावी मौसम में छात्रों की पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित होने लगी है। प्रदेश के कई स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो चुकी है। वहीं, पढ़ाई ठप रहने से सिलेबस पिछड़ता जा रहा है, जिसका खमियाजा बच्चों को भुगतना तय है। प्रदेश में विधानसभा चुनावों में इस बार स्कूलों से 30,000 से ज्यादा शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगाई गई है। ऐसे में प्रदेश के सैंकड़ों स्कूल बंद हो गए हैं।

शिक्षकों का कहना है कि जिला प्रशासन और चुनाव आयोग ने महिला शिक्षकों को छोड़कर सभी पुरुष शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगाई है। ऐसे में जिन स्कूलों में मात्र पुरुष शिक्षक ही हैं, वे स्कूल पूरी तरह खाली हो गए हैं। उन स्कूलों में एक भी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं है। हालांकि विभाग ने स्कूलों में कार्यरत दूसरे शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी पर जाने वाले शिक्षकों का काम सौंपने के निर्देश पहले ही जारी किए थे लेकिन अब जब स्कूल के सभी शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगाई गई है तो ऐसे में बच्चों को कौन पढ़ाएगा।

 चुनावी ड्यूटी रद्द करने की मांग

अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने बताया कि संघ इस संबंध में कई बार सरकार, शिक्षा विभाग व चुनाव आयोग को लिखित में आग्रह कर चुका है, बावजूद इसके आयोग शिक्षा विभाग से सबसे ज्यादा कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी लगाता है। संघ ने आयोग से सिफारिश की है कि छात्रहित के लिए दूसरे विभागों के मुकाबले शिक्षा विभाग से कम से कम शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगानी चाहिए। संघ ने इस दौरान शिक्षा विभाग के 50 प्रतिशत कर्मचारियों की चुनावी ड्यूटी रद्द करने की मांग चुनाव आयोग से की है ताकि स्कूलों में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।