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औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में नहीं थम रहा मजदूरों का शोषण, बिना नोटिस दिए काम से निकाले मजदूर

पी. चंद |

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में उद्योगपतियों द्वारा मजदूरों का शोषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामले में ईस्टमैन उद्योग द्वारा पांच मजदूरों को बिना नोटिस दिए गेट बंद करने और हथियार बंद गुंडों से कामगारों को डराने धमकाने का मामला सामने आया है। उद्योगपतियों द्वारा मजदूरों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष बबलू पंडित ने प्रेस वार्ता कर कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि जब उद्योग द्वारा 24 मई 2019 को  मजदूरों के साथ समझौता किया गया था। इस समझौते के अनुसार मजदूरों कि आठ मांगो को उद्योग द्वारा मान लिया गया था। उसके बावजूद भी उद्योग द्वारा गुंडागर्दी दिखाई गई और मजदूरों के गेट बंद कर दिए गए। अगर उद्योग प्रबंधक द्वारा अपना रवैया नहीं बदला गया तो  मजबूरन मजदूरों को सड़कों पर उतरना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेदारी उद्योग प्रबंधक स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ हिमाचल प्रदेश सरकार की होगी।

इस मौके पर उद्योग द्वारा प्रताड़ित विमलेश ने बताया की साल 2017 में उसका बायां हाथ उद्योग में काम करते समय कट गया था। जिसके पश्चात उद्योग द्वारा उसे मुआवजा देने और उसकी पत्नी को उद्योग में नौकरी देने की बात कही गई थी। मगर उद्योग द्वारा इलाज तो करवाया गया पर ना तो उसे मुआवजा दिया गया और जहां उसकी पत्नी को नौकरी दी गई थी उसे भी नौकरी से निकाल दिया गया। विमलेश ने सरकार व प्रशासन से मांग की है की उसे मुआवजा दिलवाया जाए और उसकी पत्नी को उद्योग में नौकरी पर रखा जाए जिससे वह अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण कर सके ।

वहीं, उद्योग से निकाले गए उमेश मिश्रा, राहुल कुमार, सुनील, साहब सिंह और मिथिलेश ने बताया कि उद्योग द्वारा उनके साथ और बाकी मजदूरों के साथ 24 मई को समझौता हुआ था मगर समझौते के बाद भी उद्योग प्रबंधक का रवैया नहीं बदला। जिसके पश्चात 6 अगस्त  को सभी मजदूरों ने उद्योग प्रबंधन के खिलाफ स्ट्राइक पर जाने का निर्णय किया था जिसको लेकर एसडीएम नालागढ़ को भी ज्ञापन सौंपा गया था। जिसके बाद सभी कामगार उद्योग के गेट पर बैठ गए थे मगर उद्योग प्रबंधन द्वारा वहां पर भारी हथियारबंद गुंडों  द्वारा मजदूरों को धमकाया गया और धक्का-मुक्की की गई । जिसकी सूचना  हम ने थाना नालागढ़ को भी दी  मगर पुलिस द्वारा भी उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिसके बाद डर के कारण सभी मजदूर उद्योग में काम करने को मजबूर हो गए । मगर हम पांच मजदूरों का गेट बंद कर दिया गया जिसके बारे ना तो उन्हें बताया गया और न हीं कोई नोटिस दिया गया।

इस बारे में जब उद्योग प्रबंधक अमित शिवारे से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि मजदूरों द्वारा ना तो उन्हें कोई स्ट्राइक का नोटिस दिया गया था। और जो 5 मजदूर उद्योग से निकाले गए हैं उनके घर पर नोटिस भेज दिया गया है और जब उनसे अधिक जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन पर बताने से साफ इनकार कर दिया और फोन काट दिया।