शिमला जिला में साल 2017 में हुए बहुचर्चित कोटखाई रेप और हत्याकांड मामले में गुड़िया के परिजनों ने न्याय के लिए एक बार फ़िर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सीबीआई जांच से असंतुष्ट परिजनों ने मामले की एनआईए जांच मांगी है। प्रदेश हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। जिसमें मामले की दोबारा से निष्पक्ष जांच और असल आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे डालने की मांग की गई है। गुड़िया के परिवारजनों सीबीआई जांच पर कई सवाल उठाए हैं।
उन्होंने आरोप लगाए हैं कि सीबीआई ने जांच में कई तथ्यों को छिपाया है। सीबीआई ने गुड़िया गैंगरेप और मर्डर केस में सिर्फ एक चरानी को गिरफ्तार किया। लेकिन एक चरानी इतनी बड़ी बारदात को अंजाम नहीं दे सकता है। पुलिस गैंगरेप को लेकर जांच कर रही थी तो सीबीआई ने एक गरीब चरानी को पकड़कर जेल में क्यों डाला। ये काम एक नीलू चरानी का नहीं हो सकता। इस मामले में बड़े लोगों का हाथ है।
उधर गुड़िया के परिजनों के वकील देवन भट्ट का कहना है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस की एसआईटी जिस मामले में गैंगरेप और मर्डर की जांच कर रही थी उस मामले में सीबीआई ने एक चरानी नीलू को पकड़कर जेल में डाल दिया ये समझ से परे है। इसमें मनी ट्रेल का बहुत बड़ा झोल है। इसलिए मामले की जांच एनआईए द्वारा करवाई जाए ताकि सच सामने आ सके। मामले में परिजन अब सरकार से लेकर विपक्षी दलों के पास जाकर भी न्याय के लिए गुहार लगा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में शिमला जिले के कोटखाई के दांदी जंगल में 10वीं की छात्रा 4 जुलाई 2017 को स्कूल वर्दी में मृत मिली थी। उस वक़्त सामने आया कि गुड़िया के साथ गैंगरेप किया गया और बाद में हत्या कर दी गई।
इस मामले ने इतना तूल पकड़ा की हिमाचल हाईकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच सीबीआई को दी दे दी। मामले में आईजी, एसपी, डीएसपी समेत 9 को पुलिस हिरासत में एक नेपाली के मर्डर पर जेल काटनी पड़ी। अभी भी नेपाली मर्डर मामले में जैदी जेल में है। लंबी जांच के बाद CBI ने मामले में एक चिरानी नीलू को गिरफ्तार किया। जो अभी जेल में है। सीबीआई जांच से असंतुष्ट परिवारजनों ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाइकोर्ट में मामले को लेकर जाने की बात कही थी।