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हिमाचल में किसानों को नहीं मिल रहा न्यूनतम समर्थन मूल्य, कम दाम में बिक रही सब्जियां

पी. चंद, शिमला |

केंद्र की मोदी सरकार किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का दावा कर रही है और किसानों की आय को 2022 तक दुगना करने की बात हो रही है लेकिन हिमाचल प्रदेश के किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन नहीं मिल रहा है। शिमला में सब्जी का उत्पादन करने वाले किसानों ने सरकार से प्रदेश में सब्जी आधारित उद्योग स्थापित करने की भी मांग की है जिससे किसानों को सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके। प्रदेश में लगभग 10 लाख किसान सब्जी उत्पादन का काम करते है। शिमला में आयोजित किसान सभा की बैठक में सब्जी उत्पादक किसानों ने ये समस्यांए बताई।

2014 में लोकसभा चुनाव से पहले हिमाचल के सोलन में हिमाचल के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात की थी जो आज तक पूरी नहीं हुई है। प्रदेश के सोलन, शिमला और सिरमौर जिला के छोटे किसान सब्जी उत्पादन का काम करते है लेकिन प्रदेश सरकार इन किसानों की अनदेखी कर रही है।किसानों को उनकी सब्जियों का उचित दाम नही मिला रहा है।हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने बताया कि मोदी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की किसानों को बात कर रहे है लेकिन प्रदेश सरकार अभी तक किसानों को कंही भी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे रही है। प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य के देने के सब्जी का भंडारण होने की शर्त लगाई है जिस वजह से किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है।

वहीं, सब्जी उत्पादक किसानों ने बताया कि सब्जी की बिजाई से लेकर सब्जी तैयार होने तक किसानों को  समस्यओं का ही सामना करना पड़ता है। जंगली जानवरों से फसलों को बचाना दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। जैसे-तैसे किसान फसल को जानवर से बचा कर मंडियों तक पहुंचाता है लेकिन मंडियो में भी किसानों के साथ लूट की जाती है । किसानों को सब्जियों के सही दाम नहीं मिल रहे हैं।आढ़ती सब्जी के वजन को कम बताता है और बोली में सब्जी के दाम अधिक बताते हैं लेकिन जब पेमेंट किसानों को मिलती हैं तो वो बोली से कम दाम की होती है।