शिमला के नारकंडा में आज किसान संघर्ष समिति नारकंडा और साथ लगते क्षेत्रों के सेब उत्पादकों ने लगभग 1 घण्टा सांकेतिक चक्का जाम किया। धरने में शामिल सेब उत्पादकों को विभिन्न क्षेत्रों से आए जन प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। ठियोग क्षेत्र से विधायक साथी राकेश सिंघा ने बताया कि विधान सभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया गया था कि हिमाचल में फल मंडियों में सोलन और ढली के बाद जो बने हुए सब्जी मंडी है नारकंडा में सबसे ज़्यादा मंडी फीस जमा की है बावजूद इसके प्रदेश सरकार और एपीएमसी किसान बागवानों को सुविधाएं देने में नाकाम हुए हैं। 2018 में नारकंडा से सबसे ज्यादा मार्केटिंग फीस जमा हुई है।
नारकंडा के इर्दगिर्द और सेब की दूसरी मंडियों में भी बागवानों को उनके उत्पाद का पैसा वक्त पर नही दिया गया है। बहुत से आढ़ती किसान बागवानों का पैसा डकार कर फरार हो चुके हैं। सैंकड़ो किसानों ने इसके विरुद्ध केस तक दर्ज़ किए है। आज भी नारकंडा के भीतर कुछ आढ़ती गैरकानूनी तरीक़े से कारोबार कर रहे हैं जिस पर एपीएमसी किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं कर रही है। प्रति पेटी अनलोडिंग के नाम पर 20 से 50 रुपये कम किये जा रहे हैं जबकि एपीएमसी अधिनियम के मुताबिक ये 5 रुपयों से अधिक नहीं वसूल जा सकता।
नारकंडा और शिलारू के मध्य कुछ मंडियों की शिकायत ग्रामीणों द्वारा किये जाने के बाद उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। ये यहां गंदगी का आलम बनाये हुए हैं और पानी के स्रोत खराब किये जा रहे हैं। किसान साथियों ने आज के धरने के बाद साफ तौर पर ये तय किया कि आने वाले दिनों में इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए आने वाले दिनों में गायों के स्तर पर किसान बागवानों की बैठकों का दौर चलाया जाएगा। जिन बागवानों को अभी भी उनके उत्पादन का पैसा नहीं मिला है वे सब सीधे एसआईटी को शिकायत करेंगे।