महिला सुरक्षा विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला अभियोजन निदेशालय शिमला द्वारा आयोजित की गई है। इस कार्यशाला का शुभारंभ आज हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा डॉ. डेजी ठाकुर ने किया। पांच दिवसीय इस कार्यशाला में प्रदेश भर के जिला न्यायवादी, उप-जिला न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादियों को महिला प्रताड़ना और सुरक्षा से जुड़े मामलों जैसे शारीरिक शोषण, पीड़िता को मुआवजा, गवाहों की सुरक्षा, साईबर क्राईम, फॉरेंसिक साईंस, महिला तस्करी सहित अन्य विभिन्न मामलों की जानकारी दी गई। इस अवसर पर डॉ. डेजी ठाकुर ने कहा कि महिलाओं से जुड़े विभिन्न मामलों की जांच विभिन्न जांच एजेंसियों को पूर्ण दक्षता से करनी चाहिए, ताकि उन्हें समय पर न्याय मिल सके। समाज में महिला प्रताड़ना, घरेलू हिंसा जैसे मामले बढ़ रहे हैं, जिन पर अंकुश लगाने के लिए समाज में जागरूकता लाना जरूरी है क्योंकि जागरूकता से ही ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।
महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों के विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकांश प्रताड़ित होने वाली महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी नहीं होती, जिसके कारण उन्हें न्याय नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में महिलाओं का जागरूक होना और उन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान होना जरूरी है, जिसमें जिला न्यायवादी, उप जिला न्यायवादी और सहायक जिला न्यायवादी मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।
प्रताड़ना के विभिन्न मामलों का समाधान करने के लिए काउंसलिंग महत्वपूर्ण है और इसके माध्यम से ही विभिन्न मामलों को हल किया जा सकता है। यदि काउंसलिंग से कोई मामला हल नहीं होता हो तभी उसे न्यायालय भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिला प्रताड़ना से जुड़े विभिन्न मामलों में काउंसलिंग करने के लिए महिला पुलिस थाने, पुलिस स्टेशन और जिला स्तर पर प्रोफेशनल काउंसलर नियुक्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसकी अनुशंसा राष्ट्रीय महिला आयोग को भेजी गई है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि समाज में जागरूकता की जरूरत है और जागरूकता से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है, ताकि महिलाएं सुरक्षित हो सकें। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति सोच को बदलना जरूरी है। इस अवसर पर अभियोजन विभाग के निदेशक एनएल सेन ने बताया कि कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को 12 फरवरी को फॉरेंसिक साईंस की विशेष जानकारी प्रदान की जाएगी।