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36 सालों से वैज्ञानिक अजय शर्मा की न्यूटन के सिद्धांत को चुनौती की जंग जारी, सरकार से मदद की दरकार

पी. चंद, शिमला |

बरसों पहले आर्किमिडीज, न्यूटन और आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिकों ने भौतिकी में कुछ ऐतिहासिक नियमों का आविष्कार किया था। इन नियम और सिद्धांतों को हम आज तक पढ़ते आ रहे हैं। लेकिन एक भारतीय वैज्ञानिक अजय शर्मा ने इसको चुनौती दी है। अजय शर्मा के मुताबिक न्यूटन का नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। यह नियम की महत्वपूर्ण खामी है।

न्यूटन के अनुसार वस्तु चाहे गोल, अर्ध गोलाकार त्रिभुज, लंबी पाइप, शंकु, स्पाट या अनियमित आकार की हो क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए। वस्तु का आकार पूरी तरह बेमानी है। पर प्रयोगों में प्रतिक्रिया वस्तु के आकार पर निर्भर करती है। इसकी अंतिम मान्यता के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है। आज तक न्यूटन के नियम को बिना कुछ महत्वपूर्ण प्रयोगों के ही सही माना जा रहा है। यह अवैज्ञानिक है। अजय शर्मा के अनुसार इन नये प्रयोगों से न्यूटन का नियम बदल जाएगा।

22 अगस्त 2018 की रिपोर्ट में अमेरिकन एसोसिएशन आफॅ फिजिक्स टीजरज के प्रैजीडेंट प्रोफैसर गौरडन पी रामसे ने प्रयोगों को करने की सलाह दी है। प्रो. गौरडन शिकागो, अमेरिका में फिजिक्स के प्रोफैसर है। 1 अगस्त, 2018 को प्रस्तुति के दौरान एक अमरीकी प्रो. ने कहा था कि यदि इन प्रयोगों द्वारा न्यूटन की खामी को सिद्ध कर दिया जाए तो भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा। इंटरनेशनल जरनल ‘फाउंडेसनज ऑफ फिजिक्स’ के फ्रांसीसी सम्पादक प्रो. कारलों रोवैली ने जून 2018 को लिखा है कि इन प्रयोगों द्वारा न्यूटन के नियम की खामी दर्शायी जा सकती है। 2018 में इंडियन साइंस कांगेस ने भी अजय की शोध को फ़िजिकल साइंसिज की प्रोसीडिग्ज में प्रकाशित किया है। 25 जून, 2019 को इंडियन साइंस अकादमी, बंगलूर के जनरल, ‘करंट साइंस’ के एडिटर ने लिखा है कि न्यूटन का तीसरा नियम निश्चित तौर से अपस्ष्ट है। इस शोध के लिए अजय शर्मा को बधाई देनी चाहिए। इसलिए ये प्रयोग बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं.

अजय शर्मा ने  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , माननीय केन्द्रीय साइंस एंड टैक्नोलाॅली मंत्री डा. हर्षवर्धन, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शिक्षा मंत्री सुरेष भारद्वाज दिल्ली में हिमाचल के प्रबुद्ध स्वर माननीय भाजपा उपाध्यक्ष जे.पी नड्डा, माननीय केन्द्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर एवं माननीय सांसद सुरेश कश्यप से प्रार्थना की है कि वे प्रयोगों की सुविधाएं उपलब्ध करवायें। इन प्रयोगों पर लगभग 10-12 लाख रुपये खर्च होंगे और भारत का नाम दुनिया के हर स्कूल तक जाएगा। आपको बता दें कि अजय शर्मा ने अमेरिका यूरोप से प्रकाशित शोध पत्रों में 2266 साल पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत, 333 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आइंस्टीन के पदार्थ-ऊर्जा समीकरण में अपनी तरफ के कई फेरबदल किए हैं। उल्लेखनीय है कि अजय शर्मा की दो किताबें भी इंग्लैंड के कैंब्रिज प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी हैं। ये पुस्तकें शर्मा के शोधपत्रों पर आधारित हैं।

अगर अजय शर्मा के तथ्यों में सत्यता पाई जाती है तो यह भारत के लिये एक महान उपलब्धि होगी। नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज इंडिया के कार्यकारी सचिव ने भी जांच शुरू होने की पुष्टि की है। भारत सरकार के निर्देशानुसार इस जांच को शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। अगर ये तथ्य सही पाये जाते हैं तो विज्ञान के क्षेत्र में भारी बदलाव देखने को मिलेगा। सांइस एंड टैक्नोलोजी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने जुलाई 2019 को अजय का प्रोजैक्ट, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( CSIR ) के महानिदेशक को भेजा है। अजय को अनुसरण करने के आदेश दिये हैं। डा. हर्षवर्धन पिछले 5 सालों से अजय को उत्साहित कर रहे हैं। तभी यह काम संभव हुआ है।