<p>प्रदेश के नए मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। जानकारी के मुताबिक नए मेडिकल कॉलेजों में जो डॉक्टर रखे जा रहे हैं उनका इंटरव्यू ही नहीं लिया जा रहा है। यानी जो भी डॉक्टरों की नियुक्ति हो रही है उनके रेज्युम देखकर ही मेडिकल कॉलेजों में खाली पद भरे जा रहे हैं। मेडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने इस बारे में बुधवार को हमीरपुर में बैठक कर प्रदेश सरकार से शिकायत की है ।</p>
<p>पूर्व सरकार द्वारा प्रदेश में नए मेडिकन कॉलेजों को चलाने के लिए पत्र संख्या नंबर एचएफडब्लू-बी बी-4-8/2014 के तहत सितंबर 2017 में ये आदेश जारी किए कि नए मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति आउटसोर्स के हिसाब से की जाए।</p>
<p>मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जिवानंद चौहान के मुताबिक ऐसी प्रक्रिया से मेडिकल कॉलेजों को बेहतर डॉक्टर मिलना मुश्किल हैं। शिकायत के मुताबिक साक्षात्कार के बगैर डॉक्टरों को रखे जाने से कॉलेजों में चिकित्सकों की बैक डोर एंट्री की जा रही है। इसमें एमबीबीएस, पोस्टग्रेज्युएट, गोल्ड मेडल और रिसर्च पेपर की शैक्षणिक योग्यता वाले डॉक्टरों को डीपीसी पॉलिसी के तहत नए मेडिकल कॉलेजों में एंट्री मिलनी चाहिए। </p>
<p>वहीं, हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन के महासचिव डाक्टर पुष्पेंद्र वर्मा का कहना है कि देश के नामी संस्थान पीजीआई से कोई डॉक्टर प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में ज्वाइन करना चाहता है तो ऐसी व्यवस्था के चलते सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बारे स्वास्थ्य मंत्री एवं निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं से मिलकर मुद्दा उठाया जाएगा ।</p>
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