टीसीपी क्षेत्र में आने वाले फोरलेन प्रभावितों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है। पहले लोगों को फोरलेन के लिए जमीन छोड़नी पड़ी और अब टीसीपी एक्ट लागू होने से प्रभावितों को 3 से 5 मीटर जमीन से हाथ धोना पड़ेगा। टीसीपी के दायरे में आने के बाद जिन लोगों को फोरलेन किनारे मकान या व्यावसायिक भवन बनाना होगा तो उनके सेटबैक नियमों के अनुसार छोड़ना पड़ सकता है। फोरलेन प्रभावित सरकार से यह मामला सुलझाने की मांग कर रहे हैं।
फोरलेन की लिस्ट
किरतपुर- नेरचौक 84 किमी
नेरचौक- पंडोग 19 किमी
टकोली- कुल्लू 28 किमी
कुल्लू- मनाली 37 किमी यानी इस फोरलेन की कुल लंबाई 195 किलोमीटर है।
शिमला- कालका 89.51 किमी
चंबाघाट- कैथलीघाट 89.51 किमी
प्रभावित लोग
अकेले कैथलीघाट- शिमला बाईपास बनने से कुल 4023 लोग प्रभावित हैं। इन फोरलेन में कुल 131 हेक्टेयर भूमि चली गई है। इसमें वन भूमि भी शामिल है। परवाणू- सोलन 39 किमी है। यहां 1898 लोग प्रभावित हैं।
3 फोरलेन प्रोजेक्टों में अभी काम शुरू होना है
पठानकोट- मंडी 197 किमी
शिमला- मटौर 223.70 किमी
पिंजौर- बद्दी 31 किमी में से हिमाचल में 18 किमी फोरलेन बनेगा
इस क्षेत्र में भू- अधिग्रहण का मुआवजा हिमाचल सरकार देगी।
हिमाचल प्रदेश फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति अध्यक्ष ब्रिगेडियर खुशहाल का कहना है कि फोरलेन प्रभावित अन्य राज्यों की तरह सरकार से भूमि का 4 गुणा मुआवजा मांग रहे हैं। यह वादा भाजपा ने प्रभावितों से चुनाव से पहले किया था। अब टीसीपी में शामिल होने से हजारों लोगों को और जमीन से हाथ धोना पड़ेगा।
फोरलेन के लिए तैनात सामाजिक विकास अधिकारी लोकेंद्र चौहान ने बताया कि फोरलेन प्रभावितों को केंद्र ने मुआवजे के लिए कुल 3756 करोड़ जारी किए हैं, जिसमें 3560 करोड़ का मुआवजा प्रभावितों को दे दिया है। कुछ प्रभावितों ने औपचारिकताएं पूरी नहीं की हैं या फिर कुछ मामले कोर्ट में हैं।