देश में मम्प्स के मामले काफी बढ़ रहे हैं, जो कि एक चिंता का विषय है। मम्प्स वायरस से होने वाला एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर बच्चों को प्रभािवत करता है। मम्प्स के मामलों में अचानक वृिद्ध के चलते अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। इस इस बारे में फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा के नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ पुनीत आनंद ने जानकारी देते हुए कहा कि मम्प्स एक वायरस के कारण होता है। यह वायरस श्वसन मार्ग के माध्यम से फैलता है और मुख्य रूप से लार ग्रंंिथयों को प्रभािवत करता है, जिससे बच्चों के चेहरे के दोनों ओर सूजन होती है। जबड़े में सूजन शुरू होने के दो दिन पहले और पांच दिन बाद मरीज दूसरों को संक्रमित करने में सक्षम होते हैं।
डाॅ पुनीत आनंद ने कहा कि मम्प्स के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 16-18 दिन बाद दिखाई देते हैं। इसके मुख्य लक्षणों में गालों और कानों के नीचे और आगे की ओर सूजन और दर्द, बुखार, सिरदर्द, मांसपेिशयों में दर्द, भूख में कमी, थकान, किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। कुछ मामलों में, मम्प्स गंभीर जिटलताओं का कारण बन सकता है, जैसे मेनिंजाइिट, एन्सेफलाइिटस, सुनने में कमी, अधिकांश मामले माइल्ड होते हैं और आराम, हाइड्रेशन और बुखार और दर्द पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है। काॅपलिकेशंस का रिस्क उन बच्चों में अधिक होता है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।
डाॅ पुनीत आनंद ने कहा कि मम्प्स की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। वर्तमान में सरसार द्वारा एमआर वैक्सीन दी जा रही है, जो खसरा और रूबेला से बचाव करती है। हालांकि यह वैक्सीन मम्प्स से सुरक्षा प्रदान नहीं करती। एमआर वैक्सीन बच्चों को दो डोज़ में दिया जाता है – नौ महीने और 15 महीने की उम्र में। एमएमआर वैक्सीन खसरा, मम्प्स और रूबेला तीनों के खिलाफ सुरक्षा देती है। एमएमआर वैक्सीन को नौ महीने, 15 महीने और पांच साल की उम्र में दिया जाता है। एमएमआर वैक्सीन देश में केवल निजी क्षेत्र में उपलब्ध है। डाॅ पुनीत आनंद ने कहा कि मम्प्स एक गंभीर रोग हो सकता है, लेिकन सही समय पर टीकाकरण और उचित सावधानी बरतकर इसे रोका जा सकता है।
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