ऊना के बाद अब हमीरपुर जिले के करीब दो दर्जन स्टोन क्रशर 8 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। क्रशरों की हड़ताल होने से रेता, बजरी न मिलने से जहां सरकारी विकास कार्यों में देरी होगी वहीं, निजी कामों पर भी इसका असर पड़ेगा।
बता दें कि सोमवार को हमीरपुर जिला क्रशर यूनियन ने आपात बैठक का आयोजन कर हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। बैठक की जानकारी देते हुए क्रशर यूनियन के जिला अध्यक्ष अशोक ठाकुर ने बताया कि यूनियन ने प्रदेश सरकार से स्टोन क्रशरों की मांगों को लेकर अवगत करवाया था। लेकिन आज तक कोई भी फैसला न होने के चलते अब यूनियन ने अनिश्चित कालीन हडताल पर जाने का फैसला लिया है।
अशोक ठाकुर ने कहा कि मैकेनिकल हैंडलिंग की मांग स्टोन क्रशरों के द्वारा पिछले एक साल की जा रही है। कई बार सरकार से इस बाबत वार्ता होने पर समस्या हल नहीं हुई है। सरकार से मिलने के बाद केवल मात्र आश्वासन ही मिले हैं जिस कारण आज बैठक में सर्व सहमति से निर्णय लिया है कि जब तक सरकार मैकेनिकल हैंडलिंग की मांग को नहीं मानती है तब तक कामकाज ठप्प रखा जाएगा।
यूनियन के महासचिव आशीष शर्मा ने कहा कि पर्यावरण समिति के द्वारा भी मैकेनिकल हैडलिंग की स्वीकृति दी गई है। लेकिन सरकार के द्वारा इस पर फैसला नहीं लिया जा रहा है। उन्होने कहा कि कोरोना काल में भी क्रशर मालिकों के द्वारा सरकार की मदद की है। सरकार द्वारा जो भी दिशा निर्देश जारी किए जाते हैं उनका क्रशर मालिक पालन करते हैं और जिन जिलों में अवैध माइनिंग हो रही है उस पर सरकार कार्रवाई कर । उन्होंने कहा कि जब तक सरकार मैकेनिकल हैंडलिंग को मजूंरी नहीं देती है तब तक क्रैशरों को बंद रखा जाएगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा खडडों में मजदूरों के माध्यम से ही रेता और बजरी भरने की इजाजत है जिसके चलते क्रशर मालिकों को ज्यादा मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन कोविड के चलते मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं जिससे क्रशर का काम भी प्रभावित हो रहा है। अब क्रैशर मालिकों द्वारा मैकेनिकल हैडलिंग की मांग की जा रही है ताकि समस्या का हल हो सके।