जसवां परागपुर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सुरिंदर मनकोटिया ने पूर्व मेजर जनरल जीडी बक्शी के उस बयान पर आपत्ति जताई है। जिसमें उन्होंने देश की आजादी में आजाद हिंद फौज का योगदान तो बताया लेकिन महात्मा गांधी के योगदान को नकारा।
जी डी बक्शी के बयानों पर जसवां परागपुर ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष सुरिंदर मनकोटिया ने तीखा पलटवार करते हुए कहा की सेवानिवृत मेजर जनरल जी डी बक्शी ने देवताओं और फौजियों की धरती हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर कस्बे में आकर अपने बयानों से गांधी और नेहरू का अपमान किया है। इतिहास को बदलने की कोशिश की है। बक्शी ने सैनिक से हटकर तथाकथित इतिहासकार बनके तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश करके गांधी और दुसरे महान स्वतंत्रता सैनानियों का अपमान किया है। उनके स्वतंत्रता अंदोलन में किए गए योगदान को कम करने का अपराध किया है। आप जैसी शख्सियत से सैनिकों की धरती हिमाचल प्रदेश को ऐसे शब्दों की उम्मीद नहीं थी।
बता दें कि रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी 9 नवंबर को संजय पराशर के आजाद हिंद फौज के सैनिकों के परिजनों के सम्मान समारोह में परागपुर आए हुए थे। यहां जीडी बक्शी ने देश की आजादी में अहिंसा के योगदान को नकारा और महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू को कमतर आंका। जब यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो कांग्रेस ने जमकर बवाल काटा।
मनकोटिया ने सेवानिवृत्त मेजर जनरल को कहा कि आज आपने वर्तमान बीजेपी के रंग में रंग कर, राष्ट्रपिता के आजादी के योगदान पर प्रश्नचिन्ह लगाकर आपने राष्ट्रपिता का अपमान किया है। आप खुलकर भाजपा का प्रचार करिए। लेकिन सेना, जो हमारी आन वान और शान है उसके शौर्य को ढाल बनाकर राजनीति न करें। खुलकर भाजपा की सदस्यता लेकर राजनीति करिए। हम सेना और सैनिकों का सम्मान करते हैं। लेकिन आप एक सैनिक होकर किसी अंग्रेज नेता के लेख का हवाला देकर और उसको आधार बनाकर राष्ट्रपिता का अपमान कर रहें हैं। आपको उस अंग्रेज पर ज्यादा भरोसा है।
उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त मेजर जनरल बक्शी ने जहां महात्मा गांधी का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं उस व्यक्ति ने जो हर वक्त हाथ में महात्मा गांधी की फोटो वाला मोमेंटो लेकर घूमते रहते हैं। उन्होंने भी बक्शी को हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर कस्बे में बुलाकर यहां की जनता और सैनिकों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है। प्रदेश के लोग और सैनिक मेजर जनरल बक्शी और उनको बुलाने वाले व्यक्ति के विवादास्पद और खंडित करने वाले बयान को कभी भूलेंगे नहीं।
यह ठीक है कि सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज की कुर्बानियों को देश कभी भुला नहीं सकता। तो यह भी अटल सत्य है कि महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहरलाल नेहरु, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय, चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय, भगत सिंह, भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, सरोजनी नायडू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, बिरसा मूंडे, अशफाक़उल्ला खान, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव थापर, शिवराम राजगुरु, खुदीराम बोस, दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी), गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय, शहीद उधम सिंह, सरला शर्मा, सुशील रतन, बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी आदि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को कमतर आंकना और आपसी तुलना करना घोर अपमान और अपराध है। आज हमारा भारतवर्ष अंग्रेजों से इन विभूतियों की वजह से आजाद है।
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