<p>अपनी बेटी को पल-पल मरता देख एक मां ने हर ने हर उस दरवाजे पर दस्तक दी जहां उसे सहायता मिलने की उम्मीद थी। नेताओं से लेकर अधिकारियों तक, लेकिन यहां से उसे या तो नाममात्र की सहायता मिली या अनदेखी का शिकार होना पड़ा। </p>
<p>हम बात कर रहे हैं पालमपुर की ठंडोल पंचायत के मनियाडा गांव की, जहां एक लड़की का पैसों के अभाव इलाज नहीं हो पा रहा। मनियाडा निवासी शीतल ब्लड कैंसर की बीमारी से पीड़ित है और लास्ट स्टेज पर पहुंच चुकी है। शीतल के पिता की चार साल पहले ही मौत हो चुकी है। घर में कमाने वाला कोई नहीं, उसकी मां संतोष कुमारी जैसे-तैसे घर का खर्च चला रही थी, लेकिन बेटी की बीमारी का इलाज करवाने में असमर्थ है।</p>
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<p>संतोष अपनी बेटी के इलाज के लिए लोगों से लाखों रुपए उधार ले चुकी है। बेटी की हालत बिगड़ता देख संतोष कई बार प्रशासन से मदद मांगने गई, लेकिन हर बार मायूसी हाथ लगी। एसडीएम पालमपुर ने मदद के नाम पर मात्र 15 सौ रुपये दिए, वहीं विधानसभा क्षेत्र सुलह के विधायक जगजीवन पाल ने 4 हज़ार रुपये की मदद दी। शीतल की मां ने बताया कि कुछ नेताओं ने तो उसकी बात तक नहीं सुनी और उसे अनदेखा कर चल दिए।</p>
<p>ऐसे हालात में एक समाजसेवी संजय शर्मा ने उनकी मदद को हाथ बढ़ाया। समाजसेवी संजय उनकी बेटी के इलाज के लिए आर्थिक मदद दे रहे हैं। संतोष ने अपने इलाके के विधायक और प्रशासन से मांग की है कि बेटी के इलाज के लिए उनकी सहायता करें, ताकि वह अपनी बेटी का इलाज करवा पाए।</p>
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