प्रदेश सरकार ने पर्यटकों को लुभाने के लिए गोबिंदसागर झील में शिकारे चलाने की योजना बनाई है। 90 किलोमीटर के दायरे में फैली इस झील में कश्मीर की डल झील की तर्ज पर शिकारे चलाए जाएंगे। साथ ही हरिद्वार और बनारस की तरह यहां के घाटों को भी सजाया जाएगा। 28 नवंबर को पर्यटन विभाग, बीबीएमबी और वाटर स्पोर्ट्स की संयुक्त टीम गोबिंदसागर झील के रेजरवायर का निरीक्षण कर देखेगी कि शिकारे और नाव कहां-कहां चलाई जा सकती हैं।
प्रदेश पर्यटन विभाग गोबिंदसागर झील को श्रीनगर की डल झील की तर्ज पर पर्यटकों को सुविधाएं देने की तैयारी में है। पर्यटन विभाग पहली बार यहां शिकारों में सैलानियों को सैर करवाएगा। ताकि कुल्लू, मनाली, शिमला या बाहरी राज्यों जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड जाने वाले यात्रियों को यहां रोका जाए। बिलासपुर को नई पर्यटन और एडवेंचर स्पोर्ट्स नगरी के रूप में विकसित करने की योजना है।
शिकारा एक बड़ी नाव की तरह होता है, जिसमें व्यक्ति पूरे परिवार के साथ बैठकर झील में घूमने का आनंद ले सकते हैं। इसी तरह से हाउस बोट भी होती है। गोबिंदसागर झील में आने वाले शिकारे डल झील में चलने वाले शिकारे की तरह ही बनाए जा रहे हैं।
पूरा शिकारा लकड़ी का बना होगा। इसमें गद्दे और कालीन भी बिछी होगी। साथ ही शिकारे में पर्दे भी लगे होंगे। अगर योजना सिरे चढ़ी तो आने वाले समय में कुछ शिकारों में डबल बेड वाले कमरे, अटैच बाथरूम, वॉर्डरोब, टीवी, डाइनिंग हॉल, खुली डेक आदि की सुविधा होगी।