वन मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने आज मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबन्धन और योजना प्राधिकरण अधिनियम (कैम्पा) के अंतर्गत मिले 1660.72 करोड़ रुपये का चैक भेंट किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राशि कैम्पा के पास लगभग पिछले 10 सालों से लंबित थी और इस राशि को जल्द से जल्द जारी करने के मामले को कई बार केन्द्र सरकार के समक्ष रखा गया, जिसके परिणामस्वरूप यह राशि प्राप्त हुई है। इस राशि का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे वृक्षा रोपण, मृद्धा और जल संरक्षण, वनां के आधारभूत विकास, वन्यजीव गतिविधियां, स्कूली बच्चों द्वारा वृक्षारोपण, लैंटाना उन्मूलन, बन्दर नसबन्दी जैसे कार्यक्रमों में किया जाएगा और कहा कि यह राशि प्रदेश के लोगों को आजीविका प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की वन सम्पदा, पर्यावरण और हरित आवरण को बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है, जिसके लिए कई कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। गोविन्द सिंह ठाकुर ने प्रधानमंत्री का क्षतिपूर्ति वनीकरण राशि (अकांउट प्रोसिजर) नियम-2018 को संसद में पास करने के लिए आभार व्यक्त किया, जिसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश को इतने लम्बे अन्तराल के बाद इतनी बड़ी राशि जारी हो सकी है।
उन्होंने कहा कि इस राशि के उचित प्रयोग के लिए तीन समितियों का गठन किया गया है, जिसमें प्रारंभिक स्तर पर कार्यकारी समिति के प्रमुख, मुख्य वन अरण्यपाल होंगे। संचालन समिति का गठन किया जाएगा, जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित की जाएगी। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्रबन्ध निकाय की स्थापना की जाएगी। समिति द्वारा लिए जाने वाले नीतिगत निर्णयों के अन्तर्गत स्वीकृत राशि को विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों पर खर्च किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि अधिनियम के नए प्रावधानों के अन्तर्गत यह राशि समेकित खाते के बजाय सार्वजनिक खाते में जमा की जाएगी और राज्य सरकार को लगभग 100 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष ब्याज के रूप में मिलता रहेगा और यह निधि वित्तीय वर्ष के अन्त में ‘लैप्स’ नहीं होगी।