सीटू ने बिजली बोर्ड में मेंटेनेंस गैंग के रूप में कार्यरत लगभग 1400 आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन के आदेश की कड़ी निंदा करते हुए इसे तानाशाहीपूर्वक कदम करार दिया है। सीटू ने ऐलान किया है कि इन कर्मियों को बहाल करने और अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के हज़ारों मजदूर 17 मार्च को विधानसभा पर हल्ला बोलेंगे और मुख्यमंत्री से इस मसले को उठाएंगे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन द्वारा मात्र एक आदेश जारी करके 1400 आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाना बहुत ही गम्भीर चिंता का विषय है और मानवीय संवेदनहीनता है। पिछले कुछ वर्षों में 6 मेंटेनेंस गैंग कर्मचारियों को बिजली बोर्ड को सेवाएं देते वक्त हादसे का शिकार होना पड़ा है और बोर्ड द्वारा उनके परिवार को कोई उचित आर्थिक मदद तक नहीं दी गई है। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बिजली बोर्ड प्रबंधन और प्रदेश सरकार के लिए आउटसोर्स कर्मी केवल इस्तेमाल करने की वस्तु बने हुए हैं। ये कर्मी कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और अब इस तरह इन्हें नौकरी से निकालना इन कर्मियों के साथ घोर अन्याय है।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि आज मेंटेनेंस स्टाफ को नौकरी से निकाला जा रहा है औऱ भविष्य में बिलिंग कर्मियों और बिजली बोर्ड कार्यालयों में काम कर रहे अन्य सैंकड़ों आउटसोर्स कर्मियों पर यह हमला होना तय है। इसलिए इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन को चेताया है कि वह तुरन्त इन कर्मियों को नौकरी पर बहाल करें अन्यथा इस छंटनी के खिलाफ मजदूरों का प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा।
उन्होंने बिजली बोर्ड के सभी आउटसोर्स कर्मियों से अपील की है कि प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन के इस निर्णय के खिलाफ पूरे प्रदेश में कर्मी लामबंद हों और 17 मार्च को सीटू के नेतृत्व में हज़ारों मजदूरों के विराट प्रदर्शन में शामिल होकर अपनी आवाज़ को विधानसभा के बाहर बुलन्द करें और मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने के लिए एकजुट हों।