हिमाचल प्रदेश में अब जल क्रीडाएं करने के लिए सरकार ने नियम बनाए हैं। पर्यटन विभाग ने जलक्रीड़ा और संबद्ध क्रियाकलाप के नियमों को अधिसूचित कर दिया है। विभिन्न गतिविधियों के लिए बांध क्षेत्र, नदियों और प्राकृतिक झीलों का भी चयन कर लिया गया है। इन नियमों को लेकर सरकार ने एक महीने के भीतर लोगों से सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। एक महीने के बाद इन नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
नियमों के मुताबिक जल क्रीड़ा के लिए भारी पहनावे की इजाजत नहीं होगी। महिलाएं साड़ी और लंबे घाघरे नहीं पहन सकेंगी। शराब पीकर, मादक द्रव्य पदार्थों का सेवन करने वालों को भी इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा हृदय रोगी, मिरगी, फैफड़ों के विकार वाले लोगों को भी इस क्रीड़ा खेलने की अनुमति नहीं देगी। जलक्रीड़ा और संबद्ध क्रियाकलाप के लिए तीन साल की अवधि का रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। विदेशी नागरिक को प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले व्यक्ति को ही जल क्रीड़ाएं करवाने की अनुमति दी जाएगी।
जल क्रीड़ाएं करवाने के लिए सरकार ने बांधों, झीलों और नदियों का चयन कर लिया है। सरकार द्वारा चयनित स्थानों पर ही जल क्रिडाएं करवाई जा सकेंगी। सरकार ने जिन स्थानों का चयन किया है उनमें बांध क्षेत्रों में पौंग डैम, गोविंद सागर झील, लारजी परियोजना जलाशय, कोल बांध परियोजना जलाशय, पंडोह बांध जलाशय, चमेरा परियोजना एक, दो और तीन बांध जलाशय और नाथपा बांध जलाशय को चुना गया है। नदियों में सतलुज, ब्यास, रावी, यमुना, गिरी, पब्बर, बास्पा, स्पीति, चंद्रभागा और प्राकृतिक झील में रेणुका झील को चुना गया है। जल क्रीड़ा में वेक बोर्डिंग, वाटर स्कीइंग, जैट स्कीइंग, स्काई बोर्डिंग, वाटर स्कूटर, फनराइड जैसे ट्यूब राइड, बनाना राइड, रिंगो राइड, डॉनट राइड, रोइंग, क्याकिंग और कनोइंग को शामिल किया गया है।