हिमाचल सरकार को कोरोना काल में विभिन्न विभागों में ख़र्च न हुए पैसे की याद आई है। ऐसे में विभाग और अधिकारियों की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते विकास कार्याों के लिए जारी किया गया 12 हजार करोड़ रुपये पिछले 19 साल में खर्च नहीं किया गया। कोरोना काल में आर्थिक तंगी के समय इसी पैसे को ख़र्च करने पर सरकार माथापच्ची कर रही है। शिमला में इसी पैसे के लिए बैठक आयोजित की जा रही है।
लॉक डाउन से प्रदेश को हुए आर्थिक नुकसान का आंकलन करने के लिए शिमला के बचत भवन में बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया है। 2001 से लेकर अनस्पेंट मनी पर मुख्यतः विभागों से लेखा जोखा मांगा गया। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विभागों के अधिकारियों से उनस्पेंट मनी का विभागों से हिसाब मांगा औऱ इस पैसे को विकास कार्यो में ख़र्च करने के निर्देश दिए।
शिमला में ही हॉर्टिकल्चर में 5 करोड़ 59 लाख बिना ख़र्च पैसा पड़ा हुआ है। कृषि विभाग में 16 करोड़ 7 लाख अभी ख़र्च नहीं हो पाया। पशुपालन विभाग में 6 लाख से ज़्यादा पैसा पड़ा है। शिक्षा विभाग में 37 करोड़ 83 लाख का फंड बचा हुआ है। ऐसे लगभग सभी विभागों में अनस्पेंट पैसा पड़ा हुआ है। जिसकी पूरी रिपोर्ट विभागों से एक सप्ताह में मांगी गई है। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सही जबाब न देने पर अधिकारियों को लताड़ भी लगाई।