<p>राजधानी शिमला के विभिन्न क्षेत्रों में बने मंदिरों का सरकार जल्द अधिग्रहण कर सकती है। मंदिर कमेटियों के खिलाफ मिल रही लगातार भेदभाव की शिकायतों के कारण अब सरकार ने ये निर्णय लिया है। बता दें कि राजधानी के समीप बने प्रसिद्ध मंदिर कमेटियों को सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006 के तहत रजिस्टर करवाना अनिवार्य है। साथ ही मंदिर में सालभर में हो रही कमाई और खर्च का ब्यौरा प्रस्तुत करना भी जरूरी होता है, लेकिन बहुत सी मंदिर कमेटियों द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है।</p>
<p>सूत्रों के अनुसार कुछ मंदिर कमेटियां सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत रजिस्टर हैं, जो नए एक्ट के कानूनों की पालना नहीं कर रही हैं। सरकार राजधानी के कालीबाड़ी मंदिर, ढिंगू माता मंदिर और कामना देवी मंदिर का जल्द अधिग्रहण किया जा सकता है।</p>
<p>कुछ मंदिरों में आमदनी के गड़बड़-घोटाले होने की शिकायतें भी प्रशासन को दी जा रही हैं। वहीं, कुछ मंदिरों की जमीन पर कमेटियों के पदाधिकारियों द्वारा अपनी मर्जी से अपना व्यवसाय चलाया जा रहा है, जिसकी प्रशासन और सरकार के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।</p>
<p>गौरतलब है कि पूर्व में सरकार ने संकट मोचन, तारादेवी और जाखू मंदिर को भी इसी आधार पर अधिग्रहण किया था। बता दें कि राजधानी में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिनकी वर्षों से कमाई तो हो रही है लेकिन मंदिरों के विकास को लेकर कोई भी कार्य नहीं हुआ है। ऐसे कुछ एक मंदिरों का मामला सरकार के पास लंबित है जबकि कुछ मदिरों का नए सिरे से अधिग्रहण किया जा सकता है।</p>
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