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भूजल स्तर नीचे जाना गंभीर स्थिति, भविष्य में इसके दुष्परिणाम आएंगे सामने: सत्ती

रविन्दर, ऊना |

जल शक्ति अभियान के अंतर्गत किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ऊना में आज एक किसान मेले का आयोजन किया गया। मेले की अध्यक्षता भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने की। मेले में बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर सतपाल सत्ती ने कहा कि पिछले एक दशक के दौरान भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे चला गया है, जो बेहद गंभीर स्थिति है और इसके दुष्परिणाम निकट भविष्य में सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर गिरने की कई वजह हैं, जिनमें बदलती जीवनशैली और खेती के लिए पानी की बढ़ती मांग प्रमुख हैं। भारत में ज्यादातर बारिश मानसून में होती है, लेकिन मौसम में बदलाव की वजह से बारिश के दिन कम हो गए हैं। कम दिनों में ज्यादा बारिश हो रही है, जिसकी वजह से भरपूर पानी रिस कर जमीन में नहीं जाता और ज्यादातर पानी बहकर नदी-नालों में पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि गिरते भू जल स्तर की समस्या से निपटने के लिए वर्षा जल संग्रहण एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि अगर आज पीने के पानी का संकट सामने खड़ा है, तो सिंचाई के लिए पानी कहां से उपलब्ध हो पाएगा। पहले तालाब व कुओं के माध्यम से भू-जल रिचार्ज होता था, लेकिन अब घर-घर पानी की पहुंच गया है और पानी का दुरूपयोग भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जल शक्ति अभियान के अंतर्गत भू-जल स्तर में सुधार लाने को प्रयासरत है लेकिन इसमें जन सहयोग भी आवश्यक है।

इस अवसर पर कृषि विश्चविद्यालय पालमपुर के अनुसंधान निदेशक डॉ वीके वत्स ने किसानों को वर्षा जल संग्रहण के महत्व की विस्तृत जानकारी दी और वर्षा जल संग्रहण के तरीकों के बारे में बताया। इन तौर तरीकों के माध्यम से जल को मिट्टी को पंहुचने से पहले इसका संग्रहण करना जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि वर्षा के पानी को ज़मीन पर न बहने देकर इसे भूमिगत टैंकों में एकत्रित किया जा सकता है। एकत्रित किए गए जल को किसान अपने खेतों की सिंचाई के लिए प्रयोग कर सकते हैं। मेले के दौरान किसानों को फसलों की पैदावार बढ़ाने के तरीकों, उरवर्क के उपयोग सहित कृषि से जुड़ी अन्य जानकारियां साझा की गई।

प्राकृतिक खेती बारे भी दी गई जानकारी

मेले में किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में भी विस्तार से बताया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि प्राकृतिक खेती की कल्पना देसी नस्ल की गाय के बिना अधूरी है। प्राकृतिक खेती के जनक डॉ. सुभाष पालेकर के अनुसार रेड सिंधी, गिर तथा साहिवाल नस्ल की गायों की भूमिका प्राकृतिक खेती में महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके गोबर व गौ मूत्र से ही प्राकृतिक खेती संभव है।

5 किसानों की निकली लॉटरी

किसान मेले में लॉटरी भी निकाली गई और 5 भाग्यशाली किसानों को उपहार प्रदान किए गए। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कोटला कलां निवासी चंबेल सिंह, रामपुर निवासी राज मनोहर सिंह, जनकौर निवासी रामपाल तथा आबादा बराना निवासी राधे श्याम व सुनील कुमार को गिफ्ट प्रदान किए। उपहार स्वरूप किसानों को पशुओं के लिए मिनरल सप्लीमेंट प्रदान किए गए। मेले में लगाई गई प्रदर्शनी का किया निरीक्षण किसान मेले में महिला एवं बाल विकास, पशुपालन, उद्यान, आईपीएच विभाग सहित अन्य गैर सरकारी संस्थाओं ने प्रदर्शनियों के माध्यम से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम के मुख्यतिथि व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने प्रदर्शनी का निरीक्षण भी किया।