कांगड़ा के ज्वाली की एक गौशाला में आए दिन गौमाता मौत की आगोश में समा रही हैं। गौशाला में 50 पशु रखने की क्षमता है, लेकिन यहां 100 से ज्यादा पशु बांधे जा रहे हैं। इसके चलते पशुओं को सूखा चारा खिलाया जा रहा है। साथ ही गौशाला में पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है।
गौशाला में गउओं की देखरेख के लिए मात्र 5 कर्मचारी तैनात हैं। इसके साथ गौशाला में बने शैड की स्थिति जर्जर है। गौशाला में गउओं को चारे के रूप सूखा भूसा दिया जाता है। गौशाला के लिए गउओं के बिमार होने की सिथति में कोई भी स्थाई पशु चिकित्सक नहीं है, जिससे गौशाला में बेसहारा गउएं आए दिन मर रही हैं। पिछले कुछ महीनों में करीब 50 से अधिक गउएं मर चुकी हैं। हालांकि यह गौशाला प्रशासन के अधीन हैं। गौशाला के नाम पर फंड भी एकत्रित किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद गौशाला में बेसहारा पशुओं की स्थिति दयनीय है।
वहीं, शिवसेना हिंद के प्रदेश प्रभारी जगदीप राणा ने ज्वाली गौशाला में बेसहारा पशुओं पर हो रहे अत्याचार पर कडा सज्ञांन लेते हुए कहा है कि ऐसी गौशालाएं बनाने का कया औचित्य है। यहां बेसहारा पशु आए दिन मर रहे हैं।