जसबीर कुमार, हमीरपुर।
हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के जंगल रोपा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने हाईटेक तरीका अपना कर कपड़े से बना सेनेटरी पैड तैयार किया है। कपड़े से बने सेनेटरी पैड की खासियत यह कि इसे महिलाएं तीन वर्ष तक उपयोग में ला सकती हैं। इसके अतिरिक्त इस सेनेटरी पैड से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नही पहुंचेगा।
मौजूदा समय में बाजार में जो सेनेटरी पैड मिलते हैं उनमें 90 प्रतिशत तक प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। जिससे पर्यवरण को भी नुकसान पहुंचता है। लेकिन जंगल रोपा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार सैनेटरी पैड में प्लास्टिक का बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया जाता। महिलाओं द्वारा तैयार कपड़े के सैनेटरी पैड को बार बार धोने से तीन साल तक उपयोग में लाया जा सकता है। कपड़े से बने सैनेटरी पैड की कीमत बाजार से बहुत कम है। जिस कारण महिलाओं द्वारा तैयार कपड़े के सैनेटरी पैड की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है।
हमीरपुर जिला के जंगल रोपा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कॉटन के कपड़े से सैनेटरी पैड तैयार कर मिसाल पेश की है। महामारी के दौरान महिलाओं को महंगे दामों में बाजार से प्लास्टिक युक्त सैनेटरी पैड खरीदने पड़ते हैं । 90 प्रतिशत प्लास्टिक युक्त सैनेटरी पैड से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। तो वहीं इससे पर्यवरण को भी नुकसान पहुंचता है। लेकिन हिमाचल के हमीरपुर जिला की जंगल रोपा स्वंय सहायता समूह की महिलाओं ने कॉटन के कपड़े से प्लास्टिक मुक्त सैनेटरी पैड तैयार किया है।
इस सेनेटरी पैड की खासियत यह है कि इस पैड का सही रखरखाव और बार बार धोने से तीन साल तक उपयोग किया जा सकता है। साथ ही इसमें लीक प्रूफ तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है। इस पैड की कीमत बाजार के दामों से कम है। जिस कारण पैड की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। सुनीति संस्था के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कॉटन के कपड़े से बने सेनेटरी पैड बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। जिससे महिलाएं अपने घर पर ही इस तरह के पैड बनाकर अपनी आजीविका कमा रही हैं। सुजानपुर की राष्ट्र स्तरीय होली मेले में महिलाओं द्वारा स्टॉल लगाकर प्रदर्शनी लगाई गई है। जिस कारण महिलाओं द्वारा तैयार किये पैड की जमकर बिक्री हो रही है।
वहीं, स्वयं सहायता समूह जंगल रोपा की सदस्य पूजा और प्रिया ने बताया कि कपड़े के सेनेटरी पैड बनाने का प्रशिक्षण लिया है। सेनेटरी पैड को बार बार धोने के साथ तीन साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पैड में हाईजीनिक होने के साथ कॉटन कपडे से बनाया गया है और लीक प्रूफ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। वहीं स्थानीय महिला कैलाश कुमारी ने स्वयं सहायता समूहों के द्वारा बनाए जा रहे सेनेटरी पैड की सराहना की और कहा कि यह सेनेटरी पैड से पर्यावरण भी दूषित नहीं होता है और सस्ते दामों में मिल रहा है जो कि तीन साल तक प्रयोग किया जा सकता है।
वहीं सुनिति संस्था की समन्वयक अदिती ने बताया कि हमीरपुर ब्लॉक के जंगल रोपा में कपड़े के सेनेटरी पैड बनाने की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था और महिलाओं को कपड़े का पैड बनाना सिखाया है जिसमें प्लास्टिक बिल्कुल प्रयोग नहीं होता है जबकि बाजार में बिकने वाले पैड में 90 प्रतिशत प्लास्टिक होता है। उन्होंने बताया कि कपड़े के बनाए गए पैड पर्यावरण को बचाने में सहायक होता है और सही से इस्तेमाल करने पर तीन साल तक प्रयोग में किया जा सकता हैं ।
वहीं सुनिति संस्था के मैनेजेर किसला आनंद ने बताया कि इस स्वयं सहायता समूह को निजी कंपनी से भी जोड़ा जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा सामान बिक सके। उन्होंने बताया कि सुनिति संस्था पूरे देश भर में अलग अलग सरकारों के साथ काम कर रही है जिसमें अलग अलग प्रोडक्टों पर काम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि सुनिति संस्था के द्वारा पूरे देश भर के विभिन्न जिलों में अलग अलग प्रोडक्टों को लेकर काम किया जा रहा है जिसमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र ,यूपी, हरियाणा , हिमाचल में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से काम किया जा रहा है। इससे पहले सेनेटरी पैड बनाने का काम देवधर जिला में किया गया है जिसमें बहुत बढ़िया रिस्पांस मिला है और अब हमीरपुर जिला में भी बेहतर काम किया जा रहा है।
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