हाईकोर्ट ने मानसिक रोगों से पीडि़त लोगों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि वो मेंटल हेल्थ केयर अधिनियम-2017 की अनुपालना व इसके बारे में जानकारी मुहैया करवाने के लिए जरूरी दिशा निर्देश जारी करे। ताकि लोगों को यह पता लग सके कि मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति को क्या अधिकार प्राप्त हैं।
कोर्ट ने कमेटी गठित करने के भी आदेश दिए हैं जो मानसिक रोगियों को रखने का प्रबंध करने के लिए सिफारिश करें जिनके कोई नजदीकी संबंधी नहीं हैं या जिन्हें सगे संबंधियों ने छोड़ दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मंगलवार को अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार और विशेष तौर पर पुलिसकर्मियों का इनके प्रति दायित्व बनता है।
न्यायालय ने इनके उपचार के लिए ग्रामीण स्तर पर जागरूकता शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं ताकि मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति का इलाज हो सके। ऐसे लोगों को समाज में समान अधिकार देने की आवश्यकता है।
ऐसे शिविर में मनोचिकित्सक, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भाग लेने के आदेश जारी किए हैं। न्यायालय ने राज्य विधि सेवा प्राधिकरण, जिला विधि सेवा प्राधिकरण को मनोचिकित्सा अस्पतालों, नर्सिगिं होम्स के संगठनों के सहयोग से स्पेशल लीगल एड क्लीनिक स्थापित करने के आदेश जारी किए हैं, जोकि मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दे सके।
कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि वह मानसिक तौर पर पीडि़त लोगों की सहायता के लिए यह सुनिश्चित करें कि सभी जिला में वेब पोर्टल चालू स्थिति में हो।