प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला में पानी के असमान वितरण के मामले में आदेश दिए कि हर की मैन कम से कम 2 पुलिस कर्मियों की निगरानी में उपभोक्ताओं का पानी खोलेंगे और बंद करेंगे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने की मैन की पानी वितरण को लेकर उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए यह आदेश दिए।
निगम को एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के आदेश भी दिए
कोर्ट ने नगर निगम को एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के आदेश भी दिए जिसकी अगुवाई का जिम्मा सहायक आयुक्त नगर निगम को दिया गया है। ग्रुप में एमई, पानी वितरण से संबंधित सभी जेई व की मैन को शामिल करने के आदेश दिए गए हैं। इस ग्रुप में संबंधित व्यक्ति को यह शेयर करना होगा कि उसके अधीन पड़ने वाले स्रोतों से कितना पानी निगम को आया और कितना बांटा गया। कोर्ट ने घरेलू कनेक्शनों से पानी लेकर व्यावसायिक गतिविधियाें में प्रयोग करने पर कनेक्शन फौरन काटने को कहा है।
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हर घंटे के बाद ग्रुप में डालनी होगी जानकारी
यह जानकारी हर घंटे के बाद ग्रुप में डालनी होगी। यह भी शेयर करना होगा कि की मैन ने कब और कहां पानी खोला व बंद किया। इस जानकारी का उत्तरदायित्व संबंधित जेई को दिया गया है। सबको पानी शांतिपूर्ण ढंग से मिले यह सुनिश्चित करने के लिए किसी भी प्रकार के धरने पर रोक लगाई गई है।
मीडिया को दी सलाह
मीडिया को शिमला में पानी की कमी को तथ्यों से परे बताने पर सावधानी बरतने की सलाह दी है। ऐसी फर्जी खबरों से परहेज करने को कहा गया है जिससे पर्यटन की दृष्टि से शिमला की छवि खराब और पर्यटकों में अफरातफरी फैले।
मुख्य सचिव को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश
कोर्ट ने मुख्य सचिव को इन सभी आदेशों के मद्देनजर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश भी दिए हैं। मामले पर सुनवाई 11 जून को निर्धारित की गई है। वहीं माननीय न्यायालय ने शिमला में चल रहे जल संकट को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा निजी तौर पर की जा रही मॉनीटरिंग की प्रशंसा की है।