हिमाचल प्रदेश में नेशनल हाईवे पर बार-बार होने वाले भूस्खलन की घटनाओं में बड़े पेैमाने पर हो रहे जान-माल के नुकसान पर प्रदेश हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की हैे। कोर्ट ने भूस्खलन को रोकने के लिए विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए आवश्यक उपाय करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तथा नेशनल हाईवे अथॉरिटी को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इनसे चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ती ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने ये आदेश नमिता मनिकतला द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनावई के दौरान दिए हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि हिमाचल में नाजुक भूगोलिक परिस्थितियों के चलते आए दिन भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं जिससे प्रदेश में जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों और यहां आने वाले पर्यटकों का जीने का मूल अधिकार है और सरकार का कर्तव्य है कि वे उन सभी एहतियाती कदमों को उठाएं जिससे जानमाल के नुकसान को रोका जा सके।
याचिकाकर्ता ने कहा कि विशेषज्ञों ने विभिन्न रिपोर्टों में भूस्खलन को रोकने के लिए कुछ उपचारात्मक उपायों की सिफारिश की है। उन्होंने भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रिपोर्ट, 2015″, डॉ. एके महाजन, प्रोफेसर (पर्यावरण विज्ञान) द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट, आदि के बारे में कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की है कि वे सरकारों को निर्देश दे कि वह उक्त रिपोर्ट में विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों के कार्यान्वयन के बारे में न्यायालय को सूचित करें और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून की सेवाओं को संलग्न करें, जो इस क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञ संस्थान है। कोर्ट ने मामले को चार सप्ताह बाद पोस्ट किया और प्रतिवादियों को अगली तारीख तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
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