<p>प्रदेश सरकार द्वारा अतिरिक्त संवैधानिक प्राधिकारियों की सिफारिश पर कर्मचारियों के तबादलों को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को उचित कार्रवाई करने और कोर्ट के निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया है।</p>
<p>न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने ये आदेश विपेंद्र कालटा नाम के एक शख्स की याचिका पर पारित किए हैं। उक्त शख्स द्वारा उसके ट्रांसफर ऑर्डर को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। </p>
<p>याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसकी ट्रांसफर जनहित या प्रशासनिक अत्यावश्यकता में नहीं बल्कि डीओ नोट के आधार पर की गई है जो कानूनी रूप से मान्य नहीं है। याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक अतिरिक्त संवैधानिक प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को स्थानांतरित करने की सिफारिशों की है, जिसकी प्रशासन के कामकाज और व्यवसाय में कोई भूमिका नहीं है, लिहाजा याचिकाकर्ता के स्थानांतरण को बरकरार नहीं रखा जा सकता है।</p>
<p>कोर्ट ने कहा कि सरकार को ऐसे अतिरिक्त संवैधानिक प्राधिकरणों को राज्य के प्रशासन और शासन में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए, अन्यथा, कानून के पूरी तरह से टूटने की संभावना है। कोर्ट ने ये भी पाया है कि प्रदेश में कर्मचारियों के तबादलों की भऱमार है। इसलिए सरकार को अपने विभागों, बोर्डों, निगमों आदि में ऑनलाइन ट्रांसफर नीति को लागू करना चाहिए।</p>
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