<p>हाईकोर्ट ने एक दिव्यांग छात्रा सवीना जहां को हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पीएचडी (हिंदी) में एडमिशन न दिए जाने से जुड़े मामले में रजिस्ट्रार और हिंदी विभाग की चेयरपर्सन को तलब करने के आदेश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने सवीना जहां की ओर से हाईकोर्ट के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिए।</p>
<p>मामले के अनुसार प्रार्थी को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में दिव्यांग कोटे से हिंदी विषय में पीएचडी में प्रवेश नहीं दिया गया था। प्रार्थी ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई।</p>
<p>पत्र पर संज्ञान के पश्चात पिछली सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने कोर्ट को बताया था कि हिंदी विषय में सभी आठ सीटें भर चुकी हैं। मामले में नियुक्त एमिक्स क्यूरी अधिवक्ता अनूप रत्न ने कोर्ट को बताया था कि अभी हिंदी विषय में पीएचडी की सीटें खाली हैं। मामले पर सुनवाई 22 मई को होगी।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>ये है पूरा मामला:</strong></span></p>
<p>मामले के अनुसार शिमला जिले के रोहड़ू की रहने वाली सवीना जहां ने अपने पत्र में लिखा था कि विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने फोन पर मैसेज भेजकर पीएचडी में प्रवेश की काउंसलिंग 25 नवंबर को होने की सूचना दी थी।</p>
<p>प्रार्थी का कहना है कि काउंसिलिंग में दिव्यांग कोटे में हस्ताक्षर वाली शीट पर अकेले उसी का नाम था। लेकिन, इसके बाद गुपचुप तरीके से दिव्यांग कोटे में एक अन्य छात्रा को प्रवेश दे दिया गया। जिसने सामान्य वर्ग में काउंसिलिंग में हिस्सा लिया था। यह सूचना भी सार्वजनिक नहीं की गई।</p>
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