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फोर्टिस कांगड़ा में हाई रिस्क डिलीवरी, गर्भ में 4 किलो की रसौली के साथ सफल प्रसव

<p>33 वर्षीय गर्भवती के गर्भ में पल रही नन्ही जान का संघर्ष हर वक्त बढ़ता जा रहा था। महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के सांसों की डोर भारी-भरकम रसौली से अटकी पड़ी थी। रसौली के साथ सुरक्षित प्रसव करवाना किसी भी विशेषज्ञ के लिए जटिल कार्य था, उस पर गर्भाशय को बचा के रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। केस की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय डॉक्टरों ने उपचार को इंकार कर दिया और मरीज को पीजीआई जाने की सलाह दी। कुछ अरसा मरीज ने पीजीआई चंडीगढ़ से उपचार लिया, लेकिन कोविड के दौर में मरीज को प्रदेश से बाहर जाना महफूज नहीं लग रहा था।</p>

<p>आखिर मरीज ने गर्भावस्था के सातवें महीने में फोर्टिस कांगड़ा का रूख किया। यहां उन्होंने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. वाणी शर्मा से परामर्श किया। डॉ. वाणी ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इसे अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया। उन्होंने मरीज को भरोसा दिलाया कि फोर्टिस कांगड़ा में उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं के बलबूते वह इस केस को परिणाम तक पहुंचाने में सक्षम हैं। इसी सप्ताह डॉ. वाणी का हुनर और अनुभव रंग लाया। उन्होंने महिला के गर्भ से तकरीबन चार किलो की रसौली को निकाल कर सुरक्षित प्रसव करवाया। इस प्रसव में सबसे बड़ी चुनौती बच्चे के साथ-साथ गर्भाशय को बचाने की थी, जिसमें डॉ. वाणी पूरी तरह से सफल हुईं। उन्होंने इस सारी प्रक्रिया को बहुत ही कुशल और सधे अंदाज में अंजाम दिया और मरीज को महज एक यूनिट ही खून चढ़ाना पड़ा, जबकि ऐसे केसिज में लगभग चार से पांच यूनिट ब्लड चढ़ाना पड़ता है।</p>

<p>पांच महीने की प्रेग्नेंसी के बाद डॉक्टरों ने यह साफ कर दिया था कि गर्भ में शिशु के साथ-साथ रसोली भी है। दरअसल, इस महिला के गर्भ में बच्चे के साथ 20 सेंटीमीटर आकार की रसोली भी पनप रही थी। इस सम्बन्ध में डॉ. वानी शर्मा ने उन्हें बताया कि यह बिरला केस था, जिसमें गर्भ में बच्चे के भार (तीन किलो) से ज्यादा बड़ी रसौली (चार किलो) विकसित हो गई थी। रसौली को निकालने के साथ मां और बच्चे की जान के अलावा गर्भाशय को बचाना भी लाजिमी था, लेकिन उन्होंने फोर्टिस कांगड़ा की एनेस्थिसिया एवं ओटी टीम के योजनाबद्ध कारगुजारी से इसे सफल अंजाम दिया जा सका। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा यह सुखद अनुभव है कि जच्चा और बच्चा दोनों तंदरुस्त हैं और हम कोख को भी बचाने में कामयाब रहे हैं, उन्होंने कहा कि पांच दिन के अस्पताल ठहराव के बाद आज मां और बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया है।</p>
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