हिमाचल प्रदेश पर कर्ज़ का बोझ किस कदर है यह किसी से छिपा नहीं है। बावजूद इसके प्रदेश सरकार फीजूल-खर्ची को लेकर ज्यादा सीरियस दिखाई नहीं देती। अब प्रदेश सरकार के पास हिमाचल भवन नाम के चंडीगढ़ और दिल्ली में दो इमारतें हैं। इनमें दोनों में करीब 90 कमरे हैं। कमाल की बात कि ये कमरे में हमेशा फुल भी रहते हैं। बावजूद इसके यह घाटे में हैं और 6 महीने पर सरकार इसके लिए 2 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी करती है।
दरअसल, हिमाचल भवन की बदहाल की सबसे बड़ी वजह यहां राजनेताओं और उनके लोगों का जमघट है। ऊपर से एक दिन का किराया 60 रुपये से लेकर 900 रुपये हैं। इसमें भी बड़ा खेल यह है कि जो जितने बड़े ओहदे पर है उसे कम पैसे और फर्स्ट-क्लास का कमरा मिलता है। हैरानी यह है कि जो जरूरतमंद और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति है, उसे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं।
इन भवनों का इस्तेमाल देखा जाए तो प्रदेश के लिए सफेद हाथी की तरह हो रहा है। मसलन इसमें आर्थिक नुकसान के सिवा कुछ भी नहीं है। दिल्ली और चंडीगढ़ स्थित हिमाचल भवन में सभी बड़े और छोटे नेताओं और उनके समर्थकों का डेरा लगा रहता है। हालांकि, यह चर्चा रही थी कि सरकार इस खस्ताहाल व्यवस्था से कमियों को हटाने के लिए अधिसूचना जारी कर सकती है। लेकिन, अभी तक ऐसा कोई भी कदम सरकार की ओर से उठाया नहीं गया है…। वैसे जरूरी है कि हिमाचल भवन जिन लोकेशन पर हैं, उनका लाभ उठाते हुए प्रदेश पर गिर रहे आर्थिक बोझ को कम किया जाए।