ज्ञान प्राप्ति के लिए जागृत मस्तिष्क बेहद जरूरी है. ये प्रवचन महामहिम दलाईलामा ने शेवेत्सल टीचिंग मैदान लेह में किए. अपनी टीचिंग के दौरान उन्होंने एक साथ 70 हजार अनुयायियों को एक साथ संबोधित किया, जबकि वर्चुअली दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने उनका संदेश सुना. अपनी टीचिंग के दौरान महामहिम दलाइलामा ने इस क्षेत्र के साथ तिब्बत का गहरा नाता बताया. वहीं, उन्होंने अपने प्रमुख सिद्वांत करुणा पर भी प्रकाश डाला साथ ही छह अक्षरों वाले मंत्र का पाठ करने का भी आह़्वान किया.
बौद्ध धर्मगुरु ने कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य है. यह समूचे जीवन को सार्थक बनाने का अवसर है. मानव जीवन अच्छे कर्मों का परिणाम है. ऐसे में जीवन को बोधि चित्त के माध्यम से पूरे विश्व में समरसता, शांति और सभी के भले की भावना को जगाने में पर केंद्रित करना चाहिए.
बता दें कि दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो अथवा ‘दलाई लामा’ तिब्बत के राष्ट्राध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु हैं। वर्ष 1949 में तिब्बत पर चीन के हमले के बाद परमपावन दलाई लामा से कहा गया कि वह पूर्ण राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में ले लें और उन्हें दलाई लामा का पद दे दिया गया. दलाई लामा के शांति संदेश, अहिंसा, अंतर धार्मिक मेलमिलाप, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करुणा के विचारों को मान्यता के रूप में 1959 से अब तक उनको 60 मानद डॉक्टरेट, पुरस्कार, सम्मान मिल चुके हैं.
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