दस दिन एक दर्जन से अधिक पंडालों में विराजमान रहे गणपति बप्पा शुक्रवार दिन ढलते ही व्यास की लहरों में विसर्जित कर दिए गए. अगले साल फिर आएंगे इस तरह की उदघोष के साथ हजारों भक्तों की मौजूदगी में गणपति बप्पा ने विदाई ली.
इससे पहले मंडी शहर में एक दर्जन से भी अधिक पंडालों में 31 अगस्त से विराजमान रहे गणपति अलग अलग टोलियों व शोभायात्राओं के साथ ग्रामीण देवी देवताओं की पालकियों के संग पूरे शहर से होते हुए व्यास नदी किनारे पहुंचे जहां उन्हें पूरी सुरक्षित तरीके से विदाई दी गई. इस दौरान घंटों तक पूरा शहर गणपति बप्पा के उदघोष, भजन कीर्तन व देव ध्वनि के साथ गणपतिमयी रहा. प्राचीन सिद्ध गणपति मंदिर, नील कंठ महादेव, बाबा भूतनाथ, बंगलेश्वरी मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, रामनगर का राजा, सौली खड्ड, पुरानी मंडी, मोती बाजार के अलावा कई बाजारों में भी गणपति उत्सव मनाए गए.
कई जगह तो घरों में भी लोगों ने गणपति की प्रतिमा स्थापित की थी. कुछ जगह से तो कार में रख कर भी प्रतिमाएं व्यास नदी तक लाकर प्रवाहित की गई. मंडी में इस उत्सव का समापन देखते ही बनता था हालांकि बाबा भूतनाथ जहां पर तीन प्रतिमाएं विराजित की गई थी एक का विसर्जन 11 वें दिन यानि शनिवार को होगा.
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