पूरे प्रदेश के डॉक्टरों ने आज से काले बिल्ले लगाकर काम करना शुरू कर दिया है। प्रदेश चिकित्सक संघ का कहना है कि पीजी कर रहे 250 के करीब डॉक्टरों का वेतन रोकना सरकार का एक अमानवीय और तानाशाही कृत्य है। जिसका पूरे प्रदेश के डॉक्टरों ने मिलकर विरोध करने का मन बना लिया है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार से निकल कर हिमाचल के डॉक्टरों ने कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार हासिल कर साबित कर दिया है कि हिमाचल में प्रतिभा कूट कूट के भरी है। लेकिन, लगता है अब ये आगे संभव न हो पायेगा। जिस तरह का तानाशाही रवैया अब डॉक्टरों के साथ अपनाया जा रहा है।
संघ का कहना है कि माननीय उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप कर के सरकार को दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं की जल्द से जल्द विशेषज्ञ औऱ खाली डॉक्टरों के पदों को भरा जाए। लेकिन, सरकार तो हमारे होनहार डॉक्टरों के विशेषज्ञता हासिल करने के रास्ते मुश्किल करती जा रही है।
संघ ने कहा कि पीजी पोलिसी हरियाणा और पंजाब की तर्ज पर हो जहां केवल बांड सिस्टम है ना कि डॉक्टरों पर आर्थिक बोझ डाला जाए। एक तरफ बैंक गारंटी की बात की जा रही है दूसरी तरफ डॉक्टरों की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट पर की जा रही उन को रेगुलर नियुक्त नहीं किया जा रहा है। जिससे उनको आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। तो बड़ा प्रश्न उठता है कि जब रेगुलर नियुक्ति नई हो रही है तो बैंक गारंटी किस बात की।
प्रदेश चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने सरकार से गुजारिश की है कि जल्द से जल्द पीजी कर रहे डॉक्टरों का वेतन रिलीज किया जाए और पीजी पालिसी ठीक की जाए और बाकी मुद्दों पर भी शीघ्र चर्चा कर सुलझाया जाए।