विधानसभा उपचुनाव के चलते हिमाचल सरकार ने तीन अक्तूबर से पेट्रोल और डीजल में लगने वाले वैट की दरों को बढ़ाने के प्रस्ताव को रोक दिया है। सूत्रों की मानें तो 23 सितंबर को अधिसूचना के दस दिन के बाद स्वत: ही बढ़ा हुआ वैट लागू हो जाना था लेकिन, सरकार ने नई दरों को लोगों से आई आपत्तियों व सुझाव के नाम पर रोक दिया है। बताया जा रहा है कि सरकार इन आपत्तियों और सुझावों का अध्ययन कर रही है।
इसके निस्तारण के बाद सरकार बढ़ोतरी पर फैसला लेगी। सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम में दो से ढाई रुपये तक की बढ़ोतरी के चुनावी मुद्दा बनने के डर से नई दरें चुनाव के बाद लागू करना चाह रही है। प्रदेश सरकार ने पेट्रोल पर 1.9 और डीजल पर 2.04 फीसदी वैट बढ़ोतरी लागू करने का प्रस्ताव किया है। मंत्रिमंडल ने पिछली बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी।
जिसके बाद 23 सितंबर को राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने अधिसूचना जारी कर जनता से 10 दिन में वैट दरों में बदलाव पर सुझाव और आपत्तियां मांगी थीं। वर्तमान में पेट्रोल पर 23.1 और डीजल पर 11.6 प्रतिशत वैट लगता है। प्रस्ताव है कि अब पेट्रोल पर वैट को 25 और डीजल पर 14 फीसदी कर दिया जाए। इससे सरकार को 25 करोड़ रुपये प्रति महीने के नुकसान से राहत मिलेगी।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्तूबर 2018 में केंद्र सरकार की ओर से 2.50 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद प्रदेश सरकार ने भी पेट्रोल और डीजल पर वैट ढाई रुपये कम कर दिया था। केंद्र और प्रदेश सरकार ने डीजल और पेट्रोल के रेट में पांच-पांच रुपये की कमी महंगाई पर लगाम लगाने के लिए की थी। इस फैसले के बाद प्रदेश में माल ढुलाई की दरें कम हो गई थीं। लेकिन, इसके बाद अब तक प्रदेश सरकार को हर महीने करीब 25 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा था।