राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सोमवार को नई दिल्ली में ‘कृषि-2022-किसानों की आय को दोगुना’ करने पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में नीति निर्माताओं और कृषि विशेषज्ञों के बीच प्राकृतिक खेती की अवधारणा को मजबूती से रखा। उन्होंने वर्तमान परिवेश में शून्य लागत प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि रासायनिक तथा जैविक खेती के मुकाबले प्राकृतिक खेती अपनाना लाभकारी है। राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती पारंपारिक है और कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने में मददगार है।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खेती ने हमारी उपजाऊ कृषि भूमि को बर्बाद कर दिया है और जैविक एक महंगी खेती है। इसका किसानों की आर्थिकी में सुधार की दिशा में कोई प्रभाव नज़र नहीं आता। इसलिए किसानों की आय को दोगुना करने के लिए लक्ष्य हासिल करने का एक मात्र विकल्प प्राकृतिक खेती की दिशा में बढ़ना है। उन्होंने प्राकृतिक खाद के अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला और कुरूक्षेत्र के गुरूकुल में अपने खेतों के अनुभव को भी साझा किया।
हरियाणा राज्य के कृषि विश्वविद्यालय हिरास तथा पंजाब के कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के वैज्ञानिकों के निष्कर्षो का हवाला देते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती में मिट्टी के पोषक तत्वों को बेहतर बनाने की क्षमता है। उन्होंने प्राकृतिक खाद तैयार करने के तरीकों को भी समझाया और कहा कि इस पर शून्य लागत आती है और फायदे बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि खाद को चार दिनों में तैयार किया जा सकता है और छः महिनों से अधिक समय तक इसका उपयोग किया जा सकता है।