हिमाचल में दवाइयों की गुणवत्ता को लेकर उठने वाले सवालों के बीच प्रदेश सरकार केन्द्र की मदद से 90:10 की रेशो से बद्दी में दवा टैस्टिंग लैब स्थापित करने जा रही है। इस दवा टैस्टिंग लैब को स्थापित के लिए 15 करोड़ की लागत आएगी। प्रदेश सरकार ने लैब भवन और इसकी मशीनरी के लिए पैसे की अदायगी भी कर दी है। जल्द ही इस लैब को शुरू कर दिया जाएगा। ताकि हिमाचल में बनने वाली दवाइयों की गुणवत्ता बनी रहे। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश में 40 हजार दवाइयों में से 12 हजार दवाईयां हिमाचल में बनती है। यानी कि देश मे बनने वाली हर तीसरी दवाई हिमाचल में बनती है।
डॉक्टर द्वारा 18 हजार की दवाई लिखने के खिलाफ जांच के आदेश
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि हिमाचल में वर्ष 2017-18 में दवाईयों के 1902 नमूने लिए गए। जिनमे से 1228 दवाईयों का परीक्षण हो चुका है। इनमें से लिए गए नमूनों में 42 सब स्टैंडर्ड पाए गए। जिनके ऊपर कार्यवाही अमल में लाई जा रही है। परमार ने बताया कि रामपुर अस्पताल में 18 हजार की दवाई लिखने वाले डॉक्टर के ख़िलाफ़ जांच के आदेश जारी कर दिए है। जेनरिक दवाईयों की जगह महंगी दवाईयां लिखने वाले डाक्टरों को किसी भी हाल में बख्शा नही जाएगा।