आय संबंधी गलत प्रमाण पत्र जारी करने पर हरिपुरधार के नायब तहसीलदार सहित संबंधित पटवारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होगी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी सहायक की नियुक्ति को रद्द करते हुए जिलाधीश सिरमौर को आदेश दिए हैं कि वह प्रमाण पत्र जारी करने वाले हरिपुरधार के नायब तहसीलदार व संबंधित पटवारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी करें।
कोर्ट ने 31 मार्च 2020 तक विभागीय जांच की रिपोर्ट मांगी है। उच्च न्यायालय ने नायब तहसीलदार, संबंधित पटवारियों व चाइल्ड रिलीफ एंड वुमन वेलफेयर सोसाइटी नाहन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही अमल में लाने के आदेश दिए हैं। मामले पर सुनवाई 2 अप्रैल 2020 को होगी।
कोर्ट के अनुसार सोसाइटी ने प्रतिवादी अनीता देवी को नर्सरी टीचर ट्रेनिंग को झूठा अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया था। न्यायालय ने जिलाधीश सिरमौर को आदेश दिए हैं कि वह मामले से संबंधित रिकॉर्ड एकत्रित करने के बाद इसकी प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक सिरमौर को सौंपें।
मामले की जांच उप पुलिस अधीक्षक के ओहदे वाले अधिकारी करें। अगर प्रथम दृष्टया यह साबित हो जाता है कि इन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है तो इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उसे अंतिम रूप तक ले जाया जाए।
हालांकि, सुनवाई के दौरान प्रार्थी कौशल्या देवी ने याचिका को वापस लेने की गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि मात्र जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच के दौरान सामने आई सच्चाई को नजरअंदाज करने के उद्देश्य से प्रार्थी की याचिका को वापस लेने वाली मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उधर, जिलाधीश सिरमौर ने न्यायालय में दायर शपथ पत्र में बताया कि उन्होंने जांच में पाया कि नायब तहसीलदार हरिपुरधार ने जो आय प्रमाण पत्र जारी किया था, वह कृषि भूमि से जुड़ी आय पर आधारित था। पटवारियों की रिपोर्ट पर तैयार किया गया यह प्रमाण पत्र वास्तविक तौर पर गलत पाया गया।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ अधिकारी व कर्मचारी शायद भूल गए हैं कि सरकारी कार्यालय जिन्हें वे चलाते हैं, उनका सदुपयोग किया जाए न कि दुरुपयोग। अगर इन्हें चलाने वाले इस नियम को भंग करते है तो देश का कानून शक्तिहीन नहीं है।