शिमला: कोरोना काल के कारण प्रदेश के हॉटलों पर आए आर्थिक संकट से जुझन के लिए हॉटल मालिकों ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है। हॉटल मालिकों की इकाई का कहना है कि सरकार उन्हें कोई रियायत नहीं दे रही है। अगर जल्द ही सरकार ने उनकी मदद नहीं की तो हॉटल मालिकों के साथ इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है।
हॉटलियर्स का कहना है कि लगातार दो टूरिस्ट सीजन कोरोना के कारण बर्बाद हो चुके हैं और पर्यटन उद्योग की कमर टूट गई है। उस पर सरकार पानी, गरबाजे फी और प्रॉपर्टी टैक्स के बिल जारी किए जा रही है। होटल वालों द्वारा इन का भुगतान कर पाना वर्तमान परिस्थितियों में असंभव है।
हॉटल मालिकों की इकाई ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि प्रदेश की हटल इंडस्ट्री 10 प्रतिशत से अधिक जीडीपी प्रदान करती है, पर अब इस पर संकट के बादल छा रहे हैं। उन्होनें आरोप लगाया कि राज्य सरकार मदद करने की जगह उनसे भारी टैक्स वसूल रही है। हॉटल मालिकों का ये आरोप हाल ही में हिमाचल के विभिन्न पर्यटक स्थलों में हॉटलों पर बैंकों द्वारा टेक ओवर नोटिस जारी होने के बाद आया है।
अन्य पर्यटक राज्यों की बात करे तो उन्होंने कोविड-19 के चलते आगामी एक वर्ष के लिए प्रॉपर्टी टैक्स, अन्य टैक्स, बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्ज को खत्म कर और अन्य रियायतें देकर होटल इंडस्ट्री को राहत दी है।
हॉटलियर्स ने मांग की हे कि सरकार को शीघ्र पर्यटन इकाइयों की आर्थिक मदद करनी चाहिए तथा अन्य पर्यटक राज्यों की तर्ज पर एक वर्ष के लिए सभी प्रकार के टैक्स तथा बिजली पर लगने वाले डिमांड चार्ज को समाप्त कर देना चाहिए। प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार से इमरजेंसी क्रेडिट लाइन का लाभ उन इकाईयों को भी देने का आग्रह करना चाहिए जिन इकाईयों ने फरवरी 2020 के बाद ऋण लिए हैं।