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हिमाचल: मांगों को लेकर जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षुओं का हल्ला बोल

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जेबीटी और डीएलएड प्रशिक्षु हाईकोर्ट के फैसले और अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं। मंगलवार सुबह 10 बजे प्रदेश भर से प्रशिक्षु सचिवालय घेराव के लिए शिमला पहुंचे। तय शेड्यूल के अनुसार प्रशिक्षुओं ने टालैंड से लेकर सचिवालय तक रैली निकालनी थी। इसके लिए बाकायदा उन्होंने जिला प्रशासन को पत्र भेजकर मंजूरी मांगी थी, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। इसके चलते प्रशिक्षु टॉलैंड में भी धरने पर बैठ गए। प्रशिक्षुओं ने टालैंड में जमा होकर नारेबाजी करना शुरू कर दी। प्रदर्शन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया।

बता दें कि बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी भर्ती के लिए पात्र बनाए जाने का हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद से ही जेबीटी प्रशिक्षु आक्रोशित हैं। प्रशिक्षु सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनका केस सुप्रीम कोर्ट में लड़ा जाए।

हिमाचल प्रदेश जेबीटी प्रशिक्षित बेरोजगार संघ के अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर ने बताया कि बीएड को जेबीटी के समान पहली से लेकर 5वीं कक्षा पढ़ाने के फैसले से हजारों जेबीटी प्रशिक्षुओं के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। प्रदेश में पहले ही 45 से 50 हजार जेबीटी बेरोजगार हैं। सरकार ने अगर जेबीटी को रोजगार नहीं देना था तो 40 जेबीटी संस्थान खोलने का क्या औचित्य है?

उन्होंने कहा कि सरकार मामले को लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे या फिर इस फ़ैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। हिमाचल प्रदेश में जेबीटी की भर्ती के लिए जो आरएंडपी नियम बने हैं, उनके अनुसार जिसने डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन) और जेबीटी का कोर्स किया हुआ हो उन्हें नियुक्ति के लिए पात्र माना जाना चाहिए।

एनसीटीई के नियमों के तहत बीएड डिग्रीधारक जेबीटी के पदों की भर्ती के लिए पात्र बनाए गए हैं और नियुक्ति प्राप्त करने पर उन्हें 6 महीने का अतिरिक्त ब्रिज कोर्स करना होगा। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के कारण शिक्षा विभाग जेबीटी (कनिष्ठ बुनियादी शिक्षकों) की भर्ती नहीं कर पा रहा था। पहले जेबीटी और डीएलएड जेबीटी भर्ती के लिए पात्र माने जाते थे। कुछ राज्यों ने बीएड डिग्रीधारकों को भी इसके लिए पात्र माना है। इसके बाद यह विवाद हिमाचल में पहुंचा।