जयराम सरकार ने हिमाचल के बेरोजगारों के साथ केसीसी बैंक भर्तियों को रद्द करने के नाम पर धोखा किया है। बैंक ने हाईकोर्ट ने हवाला देते हुए कहा था कि कोर्ट ने परीक्षा रद्द कर दी है। लेकिन अब सच्चाई सामने आई है कि भर्तियों को कोर्ट ने नहीं बल्कि सरकार ने रद्द किया है।
इसके प्रमाण के तौर पर आपको बता दें कि 28 दिसंबर 2018 को सरकार द्वारा बनाई केसीसी बैंक की कमेटी की बैठक हुई। चेयरमैन की अध्यक्षता में बैंक के एनपीए का हवाला देते हुए 2017 में हुई भर्ती परीक्षा को रद्द करने के फऱमान जारी कर दिया गया। इसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर कोई बात नहीं की, क्योंकि जब बैठक में ही भर्ती को रद्द कर दिया गया तो हाईकोर्ट ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया। नीचे दिये गए कुछ लेटर में आप साफ देख सकते हैं कि इसे सरकार ने ही रद्द किया है।
2017 में हुई भर्ती परीक्षा
2017 में विधानसभा चुनावों से पहले केसीसी बैंक में 216 पदों पर भर्तियां निकाली गई थी। चुनाव के आस-पास इस भर्ती की परीक्षा हुई और आचार संहिता के चलते इसका रिजल्ट बीच में रुक गया। नई सरकार ने सत्ता में आते ही सभी भर्ती परीक्षाओं की समीक्षा करने की बात कही और बाद में एक-एक करके सभी परीक्षाओं के रिजल्ट निकाल दिए गए। 1 साल होने के बाद भी केसीसी बैंक की भर्तियों पर समीक्षा नहीं हुई और इसे पेंडिग में डाला जाता रहा।
करोड़ो की राशि डकारी
इस भर्ती प्रक्रिया के आवेदन के लिए सरकार ने या फिर कहें कि बोर्ड ने करोड़ों की राशि जमा की। जरनल कास्ट के लिए फ़ीस 600 रुपये थी, जबकि ओबीसी के लिए 400…।। इसके तहत लगभग 7 करोड़ 40 लाख रुपये बेरोजगार युवाओं से लूटे गए। लेकिन बाद में कुछ मिला तो सिर्फ झूठा मैसेज़ कि हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया।