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करुणामूलक संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, संकल्प रैली निकाल किया प्रदर्शन

बीरबल |

करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश द्वारा मंडी में रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया. करूणामूलक संघ की यह रैली सेरी मंच से आरंभ हुई और उपायुक्त कार्यालय मंडी तक गई. जिसमें समस्त जिलों के करुणामूलक आश्रित परिवार परिवारों सहित जिला मंडी की सडक़ों पर उतर आए और रैली द्वारा सरकार के प्रति अपना रोष प्रकट किया. करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि संघ 376 दिनों से शिमला में क्रमिक भूख हड़ताल पर निरंतर बैठा है. लेकिन सरकार इन आश्रित परिवारों की सुध तक नहीं ले रही है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा इन परिवारों को अनदेखा किया जा रहा है. एक तो इन परिवारों ने अपने घर का मुखिया खोया है ऊपर से सरकार की गलत नीतियां इन परिवारों पे जबरन थोपी जा रही है. जबकि प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर ने उपचुनाव के समय कहा था कि सरकारी कर्मचारी हर एक प्रदेश उन्नति में रीढ़ की हड्डी होता है.

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश अगर इन परिवारों की रीढ़ की हड्डी टूट गई है तो क्यों प्रदेश के मुखिया इन परिवारों को अनदेखा कर रहे हैं. शिमला में एक साल से भूख हड़ताल पर बैठे . क्या यह बड़ी-बड़ी बातें चुनावों तक ही सीमित है. समस्त करुणामूलक आश्रित परिवारों ने करुणामूलक संघ प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार व मीडिया प्रभारी गगन कुमार के साथ संकल्प लिया कि जब तक सरकार करुणामूलक नौकरियां बहाल नहीं करती यह परिवार हर जिले से रैलियों द्वारा सडक़ों पर उतरकर रोष प्रकट करेंगे. करुणामूलक आश्रितों द्वारा 23 जुलाई जिला कांगड़ा ,पालमपुर में रैली की गई 29 जुलाई को जिला शिमला और 10 अगस्त जिला मंडी में रैली की गई. अब यह समस्त परिवार हर जिले से हजारों की संख्या में परिवारों सहित आकर शिमला में 13 अगस्त को विधानसभा घेराव करेंगे.

अध्यक्ष अजय कुमार कहना है कि सरकार ने समय रहते अगर करुणामूलक नौकरियां बहाल नहीं की तो हिमाचल प्रदेश में आने वाले चुनावों का बहिष्कार किया जाएगा. करूणामूलक संघ की प्रमुख मांगों में समस्त विभागों, बोर्डों, यूनिवर्सिटी व निगमों में लंबित पड़े क्लास-सी के करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों के केसों छठे वेतन आयोग में छूट देकर को जो 7 मार्च 2019 की पॉलिसी में आ रहे हैं. उनको वन टाइम सेटलमेंट के तेहत सभी को एक साथ नियुक्तियां दी जाएं . वहीे क्लास -डी में जीतने भी मामले विभागों, बोर्डों, यूनिवर्सिटी और निगमों के पेंडिंग वित विभाग के पास फंसे हैं उन्हें जल्द कैबिनेट में लाकर मोहर लगाई जाए. उसी प्रकार पॉलिसी में संशोधन किया जाए व 62500 एक सदस्य सालाना शर्त हटाई जाए .