➤ आपदा के हालात को देखते हुए हिमाचल में पंचायत व निकाय चुनाव टले
➤ मुख्य सचिव ने पांच जिलों के डीसी को जारी किए आदेश
➤ बीजेपी ने कहा—कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले कर दिया सरेंडर
हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा से बिगड़े हालात को देखते हुए दिसंबर में प्रस्तावित पंचायत और नगर निकाय चुनावों को स्थगित कर दिया है। राज्य के कार्यवाहक मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने इस संबंध में शिमला, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर के उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि भारी मानसून और प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश में जान और माल का भारी नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर सड़क संपर्क और बुनियादी ढांचा अब भी पूरी तरह दुरुस्त नहीं हो पाया है। इसलिए जब तक सड़क एवं रास्तों की पूर्ण कनेक्टिविटी बहाल नहीं होती, तब तक चुनाव नहीं कराए जाएंगे।
मुख्य सचिव ने यह आदेश स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, धारा 24 की उपधारा (e) के तहत जारी किए हैं। इसके तहत सरकार को प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रशासनिक निर्णय स्थगित करने का अधिकार है।
इससे पहले दिन में, कुछ डीसी द्वारा पंचायतीराज सचिव को लिखे पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, जिनमें चुनाव टालने का जिक्र था। अब मुख्य सचिव का पत्र सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है।
डीसी कार्यालयों की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत राहत और पुनर्निर्माण कार्य जारी हैं। प्रशासन और विभागीय कर्मचारी आपदा राहत कार्यों में व्यस्त हैं, ऐसे में पंचायत चुनाव व्यावहारिक नहीं हैं।
दूसरी ओर, स्टेट इलेक्शन कमीशन ने नवंबर-दिसंबर में पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी पहले ही शुरू कर दी थी। वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है और आरक्षण रोस्टर लगाने के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन चुनाव के लिए 50 हजार से अधिक कर्मचारियों की जरूरत होगी, जो फिलहाल आपदा कार्यों में तैनात हैं।
प्रदेश में 3577 पंचायतों और 71 नगर निकायों में चुनाव प्रस्तावित हैं। पंचायत चुनाव प्रधान, उपप्रधान, वार्ड मेंबर, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य की पांच सीटों के लिए होने थे। नगर निकाय चुनाव वार्ड पार्षदों के लिए कराए जाने थे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हुई है।
पूर्व उद्योग मंत्री और भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले सरेंडर कर दिया है। उन्होंने कहा कि “यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है। आपदा का बहाना बनाकर जनता के बीच जाने से बचना सरकार की नाकामी छिपाने की कोशिश है।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “जब मुख्यमंत्री और मंत्री विदेश यात्राओं पर जा सकते हैं, सरकारी कार्यक्रम कर सकते हैं और कुल्लू दशहरा जैसे आयोजन धूमधाम से हो सकते हैं, तो फिर पंचायत चुनाव कराने में क्या दिक्कत है?”
बीजेपी ने इसे सरकार का जनता से भागने वाला कदम बताया है, जबकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि निर्णय मानवीय और व्यावहारिक परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया है ताकि आपदा राहत कार्य बाधित न हों।



