मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र संचार क्रांति के नाम से देश व दुनिया में सुर्खियों में आए पंडित सुख राम व उनके परिवार की बपौती जैसा है. पिछले 62 सालों में केवल 1985 व 1990 को छोड़ कर 52 साल तक यहां पर पंडित सुख राम के परिवार का ही राज रहा है और इस बार फिर से यहां सुख राम के पुत्र अनिल शर्मा भाजपा के उम्मीदवार हैं. तीन साल तक भाजपा कार्यकर्ताओं, संगठन व सरकार से दूरी बनाए रखने व बार बार कांग्रेस में जाने की अटकलें लगी रहने के बावजूद हवा का रूख देख कर अनिल शर्मा ने भाजपा के साथ ही चलने का निर्णय लिया है और कार्यकर्ताओं के घोर विरोध के बावजूद पार्टी ने उन्हें यहां से टिकट भी दे दिया. अब पार्टी के आदेशों के चलते कई प्रमुख कार्यकर्ता अनिल शर्मा के प्रचार में उनका साथ तो दे रहे हैं मगर यह साथ दिखावे का ही सच का, इसमें संदेह है. यही कारण है कि अनिल शर्मा ने भी अपनी चुनावी रणनीति बदल ली है.
उन्होंने अब वीरभद्र परिवार की तर्ज पर ,श्रद्धांजलि, कार्ड चला दिया है. उनके बैनरों, पोस्टरों व पंपलैंट पर पंडित सुख राम जिनका निधन इसी साल 11 मई को हो गया था, का चित्र लगाकर वोट को श्रद्धांजलि के साथ जोड़ दिया है. बता दें कि मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने जो दिल्ली आवास पर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी , से रिक्त हुई सीट पर जब प्रतिभा सिंह को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था तो पूरे संसदीय क्षेत्र में वीरभद्र सिंह जिनका निधन बीते साल 8 जुलाई को हुआ था, को श्रद्धांजलि के नाम पर वोट मांगा था और अप्रत्याशित तौर पर प्रतिभा सिंह की प्रदेश व देश में भाजपा की सरकार होते हुए भी जीत हो गई थी. अब यही रणनीति अनिल शर्मा ने अपना ली है.
उनके मन में संदेह है कि भाजपा के कार्यकर्ता जो उनसे नाराज हैं,साथ तो चल रहे हैं मगर विश्वास नहीं हो रहा है, ऐसे में चुनाव कहीं लुटिया डूब न जाए. यही देखते हुए उन्होंने हर नुक्कड़ सभा में चुनाव प्रचार को पंडित सुख राम के गुणगान व उपलब्धियों पर केंद्रीय कर दिया है. वह अन्य भाजपा उम्मीदवारों की तरह मोदी, केंद्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियों पर वोट नहीं मांग रहे हैं. उनका जिक्र बहुत कम कर रहे हैं बस यही कर रहे हैं कि यह वोट सुख राम को श्रद्धांजलि की तरह होगा. माना जा रहा है कि भाजपा का जो एक युवा कार्यकर्ता प्रवीण शर्मा जो प्रदेश सचिव, प्रदेश प्रवक्ता व वर्तमान में प्रचार प्रसार सामग्री कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, के बागी होकर खड़े हो जाने से अनिल की जीत में रोड़ा अटक गया है.
अनिल को लगता है कि पुराने भाजपा कार्यकर्ता अंदरखाने प्रवीण शर्मा को वोट करेंगे. प्रवीण शर्मा को तो बागी खड़े होने पर भी अभी तक दूसरे नेताओं की तरह पार्टी से निकाला नहीं गया है. पार्टी के एक बड़े वर्ग का नर्म दृष्टिकोण उसकी तरफ बना हुआ है. यदि प्रवीण शर्मा कहीं 5 हजार से अधिक वोट झटक गया तो अनिल का गणित गड़बड़ा सकता है. एक और पूर्व भाजपाई श्याम लाल ठाकुर भी आम आदमी पार्टी की ओर से सदर से खड़ा है जबकि फौजियों के वोट की काट करने के लिए रिटायर मेजर खेम सिंह ठाकुर भी मैदान में है.
आजाद लक्षमेंद्र के वोट भी अनिल के खाते से ही जाते नजर आ रहे हैं. बसपा के चेत राम भी सक्रिय हैं. ऐसे में इनकी ज्यादा मार अनिल को ही लग रही है. इसका पूरा फायदा कौल सिंह ठाकुर की बेटी कांग्रेस की उम्मीदवार चंपा ठाकुर उठा रही है. वह भाजपाईयों की लड़ाई में अपना लाभ देख रही है. पिछली बार अनिल शर्मा से 10 हजार के अंतर से हारी थी मगर इस बार उसने चौतरफा लामबंदी कर रखी है. मंडी सदर में महिला वोटर पुरूषों से ज्यादा हैं और चंपा ठाकुर महिलाओं के जरिए अपनी नैया पार लगाने की कोशिश में है. ऐसे में मंडी सदर की जंग रोचक हो चुकी हैं. अनिल पहली बार बिना सुख राम के चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें डर यही है कि यदि वह लुढ़क तो उनके परिवार की 62 साल से चली.
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