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अफसर ज्यादा इसलिए कर्मियों को नहीं मिल रहे वित्तीय लाभ:सुक्‍खू


➤ मुख्यमंत्री सुक्खू ने बिजली बोर्ड के घाटे के लिए पूर्व सरकारों और अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार
➤ कर्मचारियों को वित्तीय लाभ देने के लिए जारी किए 2200 करोड़ रुपये
➤ कहा – आने वाले पांच-छह महीने रहेंगे मुश्किल, फिर सुधरेंगे हालात



मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को शिमला के पीटरहॉफ में बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों की समस्याओं और राज्य की आर्थिक चुनौतियों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड में अधिकारियों की संख्या अधिक होने और पूर्व सरकारों की अनदेखी के कारण आज बोर्ड घाटे में है। उन्होंने प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए पिछले 40 वर्षों की पुरानी व्यवस्थाओं को जिम्मेदार ठहराया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान सरकार ने कर्मचारियों को उनके वित्तीय लाभ देने के लिए 2200 करोड़ रुपये जारी किए हैं। वर्ष 2023 से सितंबर 2025 तक पेंशनधारकों को ग्रेच्युटी, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, अवकाश नकदीकरण, और पेंशन बकाया के रूप में 662.81 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इसी वर्ष के अंत तक 70 करोड़ रुपये और जारी किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि मेडिकल बिल अब एक सप्ताह के भीतर क्लियर किए जा रहे हैं।

कर्मचारी यूनियन की मांगों को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने बोर्ड कार्यालय परिसरों में बैठकों पर लगी रोक को तत्काल हटाने के निर्देश दिए और कहा कि सरकार कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों की पक्षधर है। उन्होंने बिजली बोर्ड के दो पदाधिकारियों पर दर्ज चार्जशीट को वापस लेने की घोषणा की और कहा कि कर्मचारियों के सहयोग से ही बोर्ड में सुधार संभव है। साथ ही, रुकी हुई पदोन्नतियों को तुरंत प्रभाव से लागू करने का आश्वासन भी दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले पांच से छह महीने आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहेंगे, लेकिन इसके बाद हालात सुधरेंगे। उन्होंने बताया कि कई क्लास-वन अधिकारी अब भी बिजली सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं, जबकि सरकार चाहती है कि यह सुविधा केवल जरूरतमंदों को ही मिले। इसके लिए उन्होंने समाज से भी सहयोग की अपील की।

उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार के लिए कड़े फैसले लेना आसान नहीं होता, लेकिन प्रदेश की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने बताया कि पिछली भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले 600 शिक्षण संस्थान खोल दिए थे, जिन्हें आर्थिक स्थिति को देखते हुए बंद करना पड़ा।

मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि ऊहल प्रोजेक्ट से बिजली उत्पादन पर 27 रुपये प्रति यूनिट का खर्च आ रहा है, जो बोर्ड के लिए एक बड़ा घाटे का कारण है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड में कर्मचारियों पर प्रति यूनिट 2.50 रुपये का खर्च आता है। पहले बोर्ड बिजली उत्पादन और वितरण दोनों का कार्य करता था, लेकिन अब केवल वितरण तक सीमित रह गया है। पूर्व अधिकारियों की नीतियों ने इसे घाटे की ओर धकेला।

उन्होंने दोहराया कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए सरकार सख्त लेकिन जरूरी कदम उठा रही है और आने वाले समय में आत्मनिर्भर हिमाचल की दिशा में काम जारी रहेगा।