निजी स्कूलों की मनमानी पर ख़बर ब्रेक होने के बाद छात्र अभिभावक मंच ने स्कूलों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है। इसी कड़ी मंच ने प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक से मांग की है कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, लूट और भारी फीसों के खिलाफ विधानसभा में कानून बनाया जाए। मंच ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह गम्भीरता से प्राइवेट स्कूलों को संचालित करने के लिए पॉलिसी बनाए।
मंच ने कहा है कि कुल 1472 प्राइवेट स्कूलों में से जो स्कूल सरकारी नोटिसों का जवाब नहीं दे रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। उन पर कॉटेम्पट ऑफ कोर्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जाए और सख्त कार्रवाई अमल में लायी जाए। इन स्कूलों को तुरन्त डीनोटीफाई किया जाए ताकि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगे। जो स्कूल शिक्षा विभाग के नोटिसों की परवाह तक नहीं करते हैं उससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका छात्रों के अभिभावकों के साथ क्या व्यवहार रहता होगा।
इससे स्पष्ट है कि प्राइवेट स्कूल तानाशाही पर उतारू हैं व उनको प्रदेश सरकार के निर्देशों की भी कोई परवाह नहीं है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से पूछा है कि उन्होंने प्राइवेट स्कूलों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालना के संदर्भ में क्या कार्रवाई की है। शिक्षा अधिकारियों द्वारा केवल अखबारी बयान देने और औचक निरीक्षण से इन स्कूलों पर शिकंजा नहीं कसेगा। इसके लिए अधिकारियों को सख्त कार्रवाई अमल में लानी पड़ेगी।