हिमाचल बोर्ड के 12वीं के परिणाम घोषित हो चुके हैं। टॉपर्स बच्चों के मां-बाप खुश हैं। मिठाईयां बांटी जा रही हैं। टॉप करने वाले या रैंक पाने वाले स्टूडेंट्स वीडियो मैसेज जारी कर रहे हैं। सभी उनकी मेहनत का लोहा मान रहे हैं। लेकिन, दूसरी तरफ एक और पक्ष है। आज के दिन तरीबन 28 हजार स्टूडेंट सदमें में हैं। घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं कि कोई ताना ना मार दे। 98,281 स्टूडेंट्स में 13 हजार फेल हो गए हैं। जबकि, 15 हजार के कंपार्टमेंट्स आए हैं।
हिमाचल प्रदेश में कुल 70.18 फीसदी बच्चे परीक्षा में पास हुए हैं। लेकिन, वहीं काफी सारे ऐसे छात्र और छात्रा हैं जिनका रिजल्ट पॉजिटिव नहीं रहा है। ऐसे में फेल या कंपार्टमेंट वाले स्टूडेंट अवसाद से ग्रसित होने की संभावना है। लेकिन, जो छात्र फेल हुए हैं उन्हें स्ट्रेस या अवसाद पालने की जरूरत नहीं है।
फेल छात्रों को मोटिवेट करें
ऐसा नहीं कि अगर कोई छात्र फेल हो जाए, तो उसकी जिदंगी खत्म है या फिर उसकी कोई योग्यता नहीं है। हो सकता है उसका टैलेंट किताबों से परे हो। लिहाजा, जिन छात्रों के रिजल्ट अच्छे नहीं आए हैं, उन्हें इस वक़्त मोटिवेट करने की जरूरत है। अगर पढ़ाई के दौरान कोई गलती हुई है, तो उस पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है। उसे फिर से ठिक करके आगे मजबूत मनोबल के साथ तैयारी करने की दरकार है।
स्टूटेंड्स कई बार गलत सब्जेक्ट्स के चुनाव की वजह से भी कम मार्क लाते हैं या फिर फेल हो जाते हैं। मसलन, किसी का बुद्धि-विवेक आर्ट्स का है और वह साइंस ले ले। ऐसे में वह सिवाय किताबी मजदूर के कुछ नहीं रह जाता। ऐसे में जरूरी है कि पहले ही सही निर्णय लेकर पढ़ाई को आगे ले जाएं।
फेल और स्कूल-ड्रॉपआउट स्टूडेंट ने किया है कमाल
अक्सर देखा गया है कि जब भी फेल या ड्रॉप-आउट स्टूडेंट ने दिल पर लिया है, तब इतिहास रच दिया है। चाहें बात न्यूटन की हो, थॉमस अल्वा एडिसन की हो या फिर फेसबुक के चीफ मार्क जकर्बर्ग की। सब कभी फेल हुए हैं या फिर स्कूल या कॉलेज ड्राप-आउट रहे हैं।
थामस अल्वा एडिसन की दास्तान तो आपको सोचने पर विवश कर देगा। दरअसल, एडिसन जिस स्कूल में पढ़ते थे वहां मैनेजमेंट ने एक लेटर लिफाफे में बंद करके उन्हे दिया और कहा कि इसे अपनी मां को इसे दे देना। एडिसन घर लौटे और लेटर अपनी मां को दे दिया। जैसे ही मां ने स्कूल द्वारा भेजा गया लेटर पढ़ा, वह फूट-फूटकर रोने लगीं। एडिसन ने अपनी मां से रोने का कारण पूछा। मां ने बड़े ही शांत लहजे में कहा, " बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा जीनियस है और हमारा स्कूल काफी निचले स्तर का है। यहां के टीचर भी एजुकेटेड नहीं है। इसलिए हम इसे नहीं पढ़ा सकते। आप इसे स्वयं ही शिक्षा दें।"
काफी अर्से बाद जब एडिसन फेमस हो गए थे। दुनिया भर में उनके अविष्कार की चर्चा थी। उन्होंने दुनिया की सभ्यताओं को प्रकाश यानी बल्ब दे दिया था। तब एक दिन फुर्सत के लम्हों में वे घर की सफाई कर रहे थे। सफाई के दौरान ही उन्होंने अपनी मां का संदूक खोला और उसमें एक लेटर देखा। एडिसन को वही लेटर मिला, जिसे स्कूल ने उनकी मां के लिए भेजा था।
उन्होंने जब वह लेटर खोला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि इसमें लिखा था, " आपका बच्चा बौद्धिक रूप से काफी कमजोर है इसलिए उसे अब स्कूल न भेजें।’’ लेकिन आप सोच सकते हैं कि उनकी मां के लफ्ज ने क्या असर दिखाया और जिसे स्कूल ने कमजोर दिमाग वाला बच्चा घोषित किया वह आगे चलकर दुनिया का महान वैज्ञानिक बना।
पैरेंट्स बच्चों को तौले नहीं, प्यार करें
आज के वक़्त में एक बड़ी बीमारी है कि पैरेंट्स अपनी अपेक्षाओं को बच्चों पर थोप देते हैं। जो वे नहीं कर सके, उसकी उम्मीद अपने बच्चों से लगा बैठते हैं। जरूरी है कि पैरेंट्स अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर ना डालें। अगर आज के सिचुएशन में कोई बच्चा फेल है, तो पैरेंट्स को चाहिए कि उससे बात करे। उसे लाइट फील कराए। बाहर खाने पर ले जाए या परिवार के लोगों के साथ ही हल्की-फुल्की बातों में मशगूल रखें। जरूरी है कि आप अपने बच्चों की तुलना किसी और से ना करें। आपका बच्चा स्पेशल है, उसकी स्पेशियालिटी को समझें…।