सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हिमाचल सरकार और विभागों में आदेशों की अनदेखी हो रही है। दरअसल, भूतपूर्व सैनिकों को मिली सरकारी नौकरियों में उनको सिनोरिटी देने पर कोर्ट ने साफ इंकार कर दिया है, लेकिन बावजूद इसके हिमाचल में कोई भी विभाग अभी तक इसे लागू नहीं कर रहा। हालांकि, प्रदेश सरकार की ओर से भी इस संदर्भ में नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, लेकिन फिर विभाग इसे अनदेखा कर रहे हैं।
पुख्ता सूत्रों की माने तो इसे लागू ना कहने की एक बड़ी वजय ये सामने आ रही है कि बहुत से आला-अधिकारी खुद सैनिक कोटे से सिनोरिटी बैनेफिट्स ले रहे हैं और इसके चलते इसे लागू करने में उन्हें मुश्किल हो रही है। हालांकि, जिला अटोर्नी ने इसे लागू कर दिया है, लेकिन साथ ही प्रदेश लेक्चर्र संघ राज्य चीफ अश्वनी ने बाकी विभागों द्वारा इस रूल की अनदेखी करने पर कंटेप्ट ऑफ कोर्ट के तहत मामला दर्ज करवा दिया है।
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मौजूदा समय प्रदेश में करीब 2 लाख 75 हजार सरकारी कर्मचारी हैं, जिनमें से करीब 40 हजार कर्मचारी भूतपूर्व सैनिक कोटे से लगे हैं। ये सैनिक 18 साल नौकरी के बाद सीधे सिनोरिटी बेस में उच्च अधिकारी लगते हैं, जिन्हें कई फ़ायदे एकदम से मुहैया हो जाते हैं। इस पर 1997 में मामला दर्ज करवाया गया था, जिसपर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी। आदेशों के बाद बकायदा प्रदेश सरकार ने 29 जनवरी को एक नोटिफिकेशन जारी किया जिसमें इसे हटाने के लिए कहा गया, लेकिन अभी कोई भी विभाग इसे लागू नहीं कर पाया।
ग़ौरतलब है कि सरकार ने बेशक इस संदर्भ में नोटिस जारी कर दिया है, लेकिन अभी तक न तो विभागों पर जोर डाला गया और ऊपर से सरकार ने भूतपूर्व सैनिकों को वित्तीय लाभ देने की बात भी कही थी।