निजी स्कूलों की मनमानी लूट, भारी फीस, ट्यूशन फीस कुल फीस का 50 प्रतिशत से अधिक न हो जैसी कई मांगों को लेकर छात्र अभिभावक मंच का प्रतिनिधिमंडल उच्चतर शिक्षा निदेशक से मिला औऱ उन्हें ज्ञापन सौंपा। मुलाक़ात के दौरान निदेशक ने आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। जो नियमों की अवहेलना करता है उसपर सख़्त कार्रवाई होगी।
मंच ने मुख्य रूप से केवल ट्यूशन फीस की वसूली के आदेश लागू करने की मांग की है। लेकिन उनका कहना ये भी है कि कुछ स्कूल ट्यूशन फीस को बढ़ाकर स्कूल फीस के 80 प्रतिशत कर बैठे हैं। ऐसे में इन स्कूलों पर कार्रवाई हो औऱ ट्यूशन फीस 50 प्रतिशत ने नीचे हो। सभी स्कूल अपनी फीस बुकलेट जारी करें और सभी स्कूलों की मदवार फीस का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
मंच के सदस्यों ने कहा कि शिक्षा विभाग ने जिन निजी स्कूलों की इंस्पेक्शन की है, उन्होंने शिक्षा विभाग के पास गलत रिकॉर्ड पेश किया है। इसलिए इन स्कूलों पर सख्त कार्रवाई अमल में लायी जानी चाहिए। शिमला शहर के छूटे हुए बाकी निजी स्कूलों की भी तुरन्त इंस्पेक्शन की जानी चाहिए औऱ शिक्षा विभाग को रिकॉर्ड अपने कब्जे में लेना चाहिए। निजी स्कूल प्रबंधन ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों में सम्माहित करने में आनाकानी कर रहे हैं और न ही इस बढ़ी हुई फीस को वापस लौटा रहे हैं। इस ज़्यादा वसूली गयी फीस को अगली किश्तों के रूप में सम्माहित करने और वापस लौटाने के लिए सरकार ने कोई भी उचित मैकेनिज़्म तैयार नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 प्रतिशत फीस टयूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है। अतः इन की टयूशन फीस को रेशनेलाइज़ किया जाए और उसी आधार पर अभिभावकों से फीस वसूली जाए। ट्यूशन फीस किसी भी रूप में कुल फीस के पचास प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए। इसके लिए पूरा मैकेनिज़्म तैयार किया जाना चाहिए।