बिलासपुर जिला अस्पताल में किस तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं, इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक महिला हेमा ने अपने बच्चे को प्रसव के दौरान खो दिया। जी हां, यहां अस्पताल में भर्ती करवाई गई एक महिला के पेट में नवजात की दम घुटने से मौत हो गई, लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही ऐसी रही कि उन्होंने परिजनों को बेवकूफ बनाकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
हालांकि, बाद में परिजनों ने महिला को प्राइवेट अस्पताल ले जाना ठीक समझा और उसकी मां की जान बच पाई। सरकारी अस्पताल की इस लापरवाही से एक बात साफ होती है कि यहां गायनी विभाग के हालात ख़स्ता हुए पड़े हैं। यही नहीं, डॉक्टरों की लापरवाही से एक परिवार ने अपनी संतान को खो दिया उसका ख़ामियाज़ा कौन भुगतेगा…??
दरअसल, अस्पताल बिलासपुर में 20 अप्रैल को जुखाला की हेमा देवी को प्रसव को लेकर भर्ती हुई थीं। पहले दिन जहां डॉक्टर ने उसे और होने वाले बच्चे को स्वस्थ बताया, वहीं दूसरे दिन सुबह उपस्थित डॉक्टर और स्टाफ नर्स ने सामान्य प्रसव होने की बात कह कर उनके परिजनों को रूम से बाहर कर दिया। इसके बाद अचानक उन्होंने प्रसव उस अस्पताल में न होने की बात कही और पीड़ित महिला को ले जाने को कहा।
डॉक्टरों की बातों को सिर-माथे पर रख़ते हुए परिजन महिला को निजी अस्पताल में ले गए। लेकिन, जब वहां महिला का चेकअप किया गया तो पता चला कि 20 मिनट पहले ही बच्चा पेट में घुट कर मर गया है। ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टर बच्चे को तो नहीं बचा पाए, लेकिन उसकी मां की जान जरूर बचा ली गई।
केंद्रीय मंत्री नड्डा से लगाई गुहार
परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि अगर अस्पताल में प्रसव के साधन नहीं थे तो उन्होंने अस्पताल में भर्ती क्यों किया। इस घटना से जिला अस्पताल के सीएमओ को भी अवगत करवाया, लेकिन अभी तक यहां प्रबंधन ने कार्यरत स्टाफ के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
नर्सों ने की परिजनों से गाली गलोज़
महिला हेमा के पति जितेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी पत्नि की हालत गंभीर होने लगी तो उपस्थित स्टाफ नर्स ने परिजनों को अपने मरीज से भी मिलने नहीं दिया। भारी प्रसव की पीड़ा से कराह रही महिला के परिजनों ने जब नर्स को डॉक्टर को बुलाने की प्रार्थना की तो उसने बात सुननी तो दूर भद्दी गालियां और धक्के मार कर बाहर निकाल दिया।